छपरा में होटल चलाने वाले का बेटा बना IAS अफसर, देश में हासिल किया 290वां रैंक

करियर – शिक्षा छपरा सफलता की कहानी

छपरा। एक कहावत है जहां चाह वहां राह। सच भी है अगर कोई व्यक्ति दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ संकल्प ले ले तो चाहे हालात जैसे भी हो वह अपने लक्ष्य को जरूर हासिल करता है। कुछ ऐसा हीं कर दिखाया है सारण के लाल अजय यादव ने। जिन्होंने UPSC  जैसे कठिन परीक्षा को दूसरे प्रयास में क्रैक कर दिया। यूपीएससी द्वारा जारी रिजल्ट में सारण जिले के मढौरा प्रखंड के सिहोरिया गांव निवासी कामेश्वर यादव और चांदमुनि देवी के पुत्र अजय यादव ने सफलता का परचम लहराकर पूरे देश में अपने गांव-समाज परिवार और जिले का नाम रौशन किया है।

अजय यादव ने यूपीएससी परीक्षा में पूरे देश में 290वां रैंक हासिल कर आईएएस अफसर बनकर अपने पिता के सपने को साकार करके दिखा दिया है। अजय यादव के पिता कामेश्वर यादव वेस्ट बंगाल के बरदमान में होटल चलाते हैं। अजय यादव एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। अजय यादव ने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है। अजय यादव के इस सफलता से पूरे घर परिवार और गांव में खुशी का माहौल है।

दूसरे प्रयास में हासिल की सफलता:

 पहले प्रयास में वह इंटरव्यू में सफल नहीं हो पाये थे। असफलता के बावजूद भी अयज यादव ने हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन-रात कठिन परिश्रम करते रहें और सफलता हासिल कर ली।

बीपीएससी में सफलता हासिल कर बने थे राजस्व अधिकारी

अजय यादव ने 2023 में बीपीएससी में 227वां रैंक हासिल कर राजस्व अधिकारी के पद पर चयनित हुए है। फिलहाल अजय यादव राजस्व अधिकारी के पद पर कार्यरत है। वह गया में अभी ट्रेनिंग ले रहें। सरकारी सेवा आने के बाद भी वह अपने लक्ष्य को हासिल करने लिए लगातार मेहनत करते रहें। अब वह यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर आईएएस अफसर बन गया है।

गांव से हुई है प्रारंभिक शिक्षा:

अजय यादव ने अपने पैतृक गांव मढौरा से हीं प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की है। उसके बाद वह आगे की पढ़ाई अन्ना यूनिवर्सिटी चेन्नई से पढ़ाई की। फिर दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहकर आईएएस की तैयारी कर रहा था।

आईएएस की तैयारी के द्वारा बीपीएससी में सफलता मिल गयी और वह राजस्व अधिकारी बन गया। फिर भी अपने सपने को साकार करने के लिए कठिन परिश्रम करते रहें। अब वह आईएएस अफसर बनकर देश की सेवा करेगा। अजय यादव ने अपने सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरूजनों को दी है।