छपरा

खुद से ज्यादा समाज कल्याण की चिंता करने वाले मनुष्य रूपी ईश्वर के समान थे राजगृह बाबू

– राजगृह बाबू ने राहुल सांकृत्यायन के नाम पर एकमा में राहुल नगर की स्थापना कर एक नया इतिहास रचा

– 14 अप्रैल को राहुल सांकृत्यायन और राजगृह बाबू की पुण्यतिथि एक साथ मनाई गई

छपरा। अपने से ज्यादा समाज कल्याण की चिंता करने वाले प्रसिद्ध समाज सेवी सह विद्वान प्रो राजगृह सिंह अपने जीवन काल में कभी झूठ नही बोला था। जिस कारण कुछ लोग उनसे शिकायत भी करते थे की आपको ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। उक्त बातें अपनी पिता की प्रथम पुण्य तिथि के अवसर पर झारखंड के जमशेदपुर स्थित महाविद्यालय की अध्यापिका डॉ कुमारी अनामिका ने कही। दाउदपुर बाजार स्थित नंदलाल सिंह महाविद्यालय में हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष सह विद्वान डॉ राजगृह सिंह की प्रथम पुण्यतिथि का आयोजन उनके एकमा प्रखंड मुख्यालय स्थित राहुल सांकृत्यायन नगर मुहल्ला स्थित घर पर किया गया।

हालांकि प्रो राजगृह सिंह की पहली पुण्यतिथि और यायावर के नाम से प्रसिद्ध महापंडित राहुल सांकृत्यायन जी की 61 वीं पुण्यतिथि एक साथ मनाई गई। इस अवसर पर पत्नी गिरिजा सिंह, पुत्री डॉ कुमारी अनामिका, रीना सिंह, रेखा सिंह, नीलम सिंह और कुमारी पल्लवी के अलावा रिबेल संस्थान के निदेशक विक्की आनंद, वरीय पत्रकार धर्मेंद्र रस्तोगी, मदन पाठक, त्रिलोकी नाथ पाण्डेय, कमलेश्वर पाण्डेय, राजनाथ सिंह सहित कई अन्य गणमान्य लोगों द्वारा नम आंखों से पुष्प अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।

– राजगृह बाबू ने राहुल सांकृत्यायन के नाम पर एकमा में राहुल नगर की स्थापना कर एक नया इतिहास रचा: डॉ कुमारी अनामिका
वहीं उनकी पुत्री सह झारखंड के जमशेदपुर के ग्रेजुएट कॉलेज फॉर विमेन में अध्यापिका के पद को सुशोभित करते हुए अपनी पिता के द्वारा बताए मार्ग पर चलने वाली डॉ कुमारी अनामिका ने कहा कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन से बहुत ज्यादा प्रभावित होने के कारण ही वर्ष 1993 में उन्होंने राहुल जी की पत्नी को परसागढ़ में बुलाया था। और वहां से राजगृह बाबू के घर एकमा भी आई थी। अपने अथक प्रयास से एकमा में पहले राहुल नगर की स्थापना की जबकि बाद में उनकी आदम कद प्रतिमा को स्थापित भी करवाया था। ताकि उनकी यादें हमेशा उनके करीब या आसपास ही रहे।

– 14 अप्रैल को राहुल सांकृत्यायन और राजगृह बाबू की पुण्यतिथि एक साथ मनाई गई: विक्की आनंद
रिबेल कोचिंग संस्थान के निदेशक विक्की आनंद ने
प्रो राजगृह बाबू को याद करते हुए कहा कि यह विडंबना ही है कि आज यानी 14 अप्रैल को यायावर की उपाधि प्राप्त करने वाले महापंडित राहुल सांकृत्यायन जी और मेरे अभिभावक सह मार्गदर्शक प्रो राजगृह बाबू की भी पुण्य तिथि है। हालांकि राजगृह बाबू आचार्य राममूर्ति जी से मिलकर वर्ष 1999 में अंतर्राष्ट्रीय महिला शांति सेना का गठन भी किया था। जिसका बिहार की ऐतिहासिक महत्व रखने वाला वैशाली व देश की राजधानी दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन भी हुआ था।

News Desk

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