International Award: सारण के डॉ. श्याम शरण को मिला अंतरराष्ट्रीय गौतम बुद्ध व देवनागरी सेवा सम्मान
अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के दौरान किया गया सम्मानित

छपरा। जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कमला राय महाविद्यालय, गोपालगंज के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) श्याम शरण को शिक्षा, साहित्य और मानवीय सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दो प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया है। उन्हें अंतरराष्ट्रीय गौतम बुद्ध सम्मान 2025 और अंतरराष्ट्रीय देवनागरी सेवा सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में 23 से 28 मई तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के दौरान प्रदान किया गया।
सम्मान स्वरूप डॉ. शरण को अंगवस्त्र, प्रतीक चिह्न और सम्मान पत्र प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन धराधाम इंटरनेशनल, देवनागरी उत्थान फाउंडेशन, यूनाइटेड गिल्ट फाउंडेशन यूके और एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।
वैश्विक मंच पर सारण-गोपालगंज का नाम रौशन
इस सम्मेलन में भारत समेत विभिन्न देशों के 57 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें धार्मिक नेता, अंतरराष्ट्रीय विद्वान, सांस्कृतिक प्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथियों में शामिल रहे –इंडोनेशिया के राजा जनरल ग्रैंड मास्टर प्रो. दातो सेरी डॉ. सुमपंद रथफट्टाया, थाईलैंड के शिक्षा मंत्री डॉ. मोनरूडी सोमार्ट, मलेशिया के प्रिंस राडेन मास नगाबी, बौद्ध धर्मगुरु फ्रा अचन विचान, अमेरिका के डॉ. परमिंदर सिंह, डॉ. नारायण यादव, संत डॉ. सौरभ पाण्डेय, डॉ. सुनील दुबे और डॉ. प्रेम प्रकाश।
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समाज सेवा और साहित्यिक योगदान को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान
सम्मान प्राप्ति पर डॉ. शरण ने कहा कि यह पुरस्कार केवल उनका नहीं, बल्कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय और सारण-गोपालगंज की समृद्ध शैक्षणिक और सांस्कृतिक परंपरा का सम्मान है। उन्होंने इसे जनमानस, विद्यार्थियों और शिक्षकों की प्रेरणा बताया।
डॉ. शरण को पूर्व में भी अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। उनकी इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो. प्रमेन्द्र कुमार वाजपेयी, कुलसचिव प्रो. नारायण दास, कमला राय कॉलेज के प्राचार्य प्रो. एच.के. पांडेय, महेंद्र महिला महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रुखसाना ख़ातून, प्रो. कामेश्वर सिंह, अन्य शिक्षकों, छात्र नेताओं और मीडिया प्रतिनिधियों ने उन्हें बधाई दी है।
यह सम्मान न केवल एक शिक्षक की पहचान है, बल्कि विद्या, सेवा और संस्कृति की त्रयी का वैश्विक स्वीकार है।