मऊ-शाहगंज रेलखंड के दोहरीकरण और विद्युतीकरण प्रोजेक्ट का किया गया सफल ट्रायल

उत्तर प्रदेश
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वाराणसी। रेलवे प्रशासन द्वारा यात्री सुविधाओं में सुधार, परिचालन की सुगमता और गाड़ियों की तीव्र गति को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के मऊ-शाहगंज (100 किमी) रेल खंड के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण परियोजना के तहत 20.01 किमी लंबी फरिहा-खोरासन रोड स्टेशनों के मध्य विद्युतीकरण कार्य का सफल संरक्षा परीक्षण आज संपन्न हुआ।

प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर संजय सिंघल द्वारा आज इस संरक्षा निरीक्षण का आयोजन किया गया। इस मौके पर रेल विकास निगम लिमिटेड के मुख्य परियोजना प्रबंधक एस.पी.एस. यादव, वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर (कर्षण)  आर.एन. सिंह, मंडल विद्युत इंजीनियर (कोचिंग)  रामदयाल सहित रेल विकास निगम लिमिटेड के इंजीनियर एवं वाराणसी मंडल के वरिष्ठ पर्यवेक्षक और कर्मचारी उपस्थित थे।

सभी कार्य मानक के अनुरूप पाए गए

निरीक्षण की शुरुआत फरिहा रेलवे स्टेशन से हुई, जहां प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर ने विद्युतीकरण के मानकों के अनुरूप यार्ड प्लान, न्यूट्रल सेक्शन, पावर सब स्टेशन, ओवरहेड क्रांसिंग, सिगनलिंग, अर्थिंग ट्रैक, ओवरहेड ट्रैक्शन की ऊंचाई और अन्य संरक्षा मानकों की जांच की। फरिहा स्टेशन पर सभी कार्य मानक के अनुरूप पाए गए।

इसके बाद, श्री सिंघल ने फरिहा-खोरासन रोड खंड के ब्लॉक सेक्शन का निरीक्षण पुश ट्रांली से किया। इस दौरान, उन्होंने सब स्वीच प्वाइंट्स (SSP) और छह समपार फाटकों पर किए गए बदलावों की जांच की। विशेष रूप से, विद्युतीकृत सेक्शन में सेफ्टी उपकरणों का परीक्षण किया गया और गेट मेंटेनेंस उपकरणों की भी जांच की गई।

अंतिम चरण में,  सिंघल ने खोरासन रोड रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण में उन्होंने यार्ड प्लान, न्यूट्रल सेक्शन, पावर सब स्टेशन, प्लेटफार्म क्लियरेंस, पॉइंट क्रासिंग, सिगनलिंग, अर्थिंग, ओवरहेड ट्रैक्शन की ऊंचाई और पावर डिस्ट्रीब्यूशन से संबंधित मानकों की जांच की। इसके साथ ही, उन्होंने फेल सेफ कार्य प्रणालियों की भी समीक्षा की, ताकि किसी आपातकालीन स्थिति में ट्रेन परिचालन में कोई रुकावट न आए।

निरीक्षण के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि सभी कार्य विद्युतीकरण और दोहरीकरण के मानकों के अनुरूप हैं। प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर ने समपार फाटकों के बूम लॉक और हाइट गेजों के सही ढंग से संस्थापन की पुष्टि की, साथ ही कर्वेचर, पुल-पुलियाओं और अन्य प्रमुख संरचनाओं की भी जांच की।

इस संरक्षा निरीक्षण के सफल संपन्न होने के बाद, यह परियोजना यात्रियों के लिए बेहतर और सुरक्षित रेल यात्रा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।