स्तनपान को लेकर माताओं को किया गया जागरूक

छपरा
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•नर्सो ने दी स्तनपान के महत्व की जानकारी
•स्तनापान से होता है रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास

छपरा,9 अगस्त। जब किसी घर-परिवार में नवजात शिशु का जन्म होता है तो पूरा घर शिशु की मीठी किलकारी से गूँजने लगता व सभी उसकी बलाएँ लेते हैं। परिवार में जन्म लेने वाला शिशु अपने साथ खुशियाँ लेकर आता है। सभी चाहते हैं कि नवजात को कोई बीमारी न हो।  जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा स्तनपान के प्रति महिलाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। जिसके तहत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में बुधवार को छपरा सदर अस्पताल में नर्सों के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया गया।

जिसमें गर्भवती, धात्री महिलाओं तथा नवजात शिशुओं की देखभाल करने वाली माताओं को स्तनपान कराने से होने वाले लाभ को साझा करते हुए बताया गया कि स्तनपान से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होने के साथ ही बच्चों का उम्र के मुताबिक वजन , बेहतर आहार व्यवहार और शारीरिक मानसिक विकास होता है। प्रसूता के गर्भाशय में सिकुड़न, रक्तस्राव  में कमी व वजन संतुलित करने में सहायक होता है। स्तन, गर्भाशय कैंसर जैसी बीमारी से मुक्ति मिलती है। जच्चा बच्चा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्तनपान जरूरी है। इस दौरान एसएनसीयू इंचार्ज प्रतिमा कुमारी, अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद समेत अन्य मौजूद थे।

मां का पहला गाढ़ा दूध शिशु के लिए अमृत के समान:
छपरा सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.संदीप यादव ने बताया कि  मां का पहला गाढ़ा दूध शिशु के लिए अमृत के समान होता है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। स्तनपान से शिशु व मां के बीच भावनात्मक लगाव बढ़ता है। बच्चे मां के करीब होते हैं । ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि महिलाएं अपने शिशुओं को सही तरीके से स्तनपान कराएं।

स्तनपान कराने से जच्चा और बच्चा दोनों को लाभ होता है। उन्होंने कहा कि गांव में जन्म के बाद मां का पहला दूध बच्चों को नहीं पिलाते हैं जो गलत है । जन्म के बाद मां का पहला गाढ़ा दूध बच्चों के लिए काफी फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि जन्म के 6 माह तक बच्चों को केवल मां का दूध पिलाएं। 6 माह के बाद पौष्टिक आहार देने से बच्चे का सर्वांगीण विकास होता और शिशु कुपोषण से बचता है।

शिशु और छोटे बच्चे को दूध पिलाने के सही तरीकेः
•जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत।
•जन्म के बाद पहले छह महीने तक सिर्फ स्तनपान। अन्य प्रकार के दूध, आहार, पेय अथवा पानी को ‘ना’।
•स्तनपान को जारी रखते हुए छह महीने की आयु से उचित और पर्याप्त पूरक आहार।
•दो वर्ष की आयु अथवा इसके बाद तक निरंतर स्तनपान।