छपरा। जिले के माँझी थाना क्षेत्र के टेघडा तथा भलुआ बुजुर्ग गांव के बीच बोहटा नदी के किनारे स्थित सुनसान बगीचे में आम के पेड़ से लटकता एक अधेड़ का शव बरामद किया गया। पेड़ से लटकते शव को देखकर चरवाहों ने पहले गांव के लोगों को घटना की जानकारी दी तथा बाद में गांव के लोगों ने माँझी पुलिस को घटना से अवगत कराया। सूचना पाकर दलबल के साथ पहुँचे माँझी के थानाध्यक्ष अशोक कुमार दास ने सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में पुलिस-कर्मियों की मदद से फंदा काटकर शव को नीचे उतारा।
उसके बाद मृतक के जेब से बरामद आधार कार्ड से शव की पहचान हुई। मृतक की पहचान स्थानीय थाना क्षेत्र के नचाप गांव निवासी अर्जुन सिंह के पुत्र अनिल सिंह 55 वर्ष के रूप में की गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मृतक अपनी ही पहनी धोती खोलकर उसी का फंदा बनाकर गले में डाल लिया था। लटक रहे शव से कुछ ही दूरी पर उसका तौलिया अलग डाल पर लटक रहा था। शव की पहचान होने तथा सूचना देने के बाद भी परिजन जब घटनास्थल पर नही पहुंचे तो पुलिस मृतक का शव लेकर दो किमी दूर स्थित उसके दरवाजे पर पहुँच गई।
शव के दरवाजे पर पहुँचते ही परिजनों ने दहाड़ मारकर रोना-धोना शुरू कर दिया। दरवाजे पर शव को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। ततपश्चात पुलिस ने कागजी खाना पूर्ति कर शव को पोस्टमार्टम के लिए छपरा भेज दिया।
परिजनों ने बताया कि मृतक पिछले चार दिनों से बिना बताए अपने घर से अचानक लापता हो गया था। जिसके बाद से वे लोग खोजबीन में जुटे हुए थे। इस दरम्यान परिजनों द्वारा सोशल मीडिया पर भी मृतक के लापता होने की सूचना लगातार प्रचारित की जा रही थी।
मृतक के परिवार में वृद्ध पिता, पत्नी तथा तीन पुत्रियां व एक पुत्र है। पुत्र कलकत्ता में प्राइवेट नौकरी करता है। जिनमें से दो पुत्रियों की शादी हो चुकी है। पुत्र व एक पुत्री अभी अविवाहित है। मृतक वर्षों से अपने दरवाजे पर एक छोटा किराना दुकान संचालित करके अपने परिवार का भरण पोषण करता था। हालाँकि कुछ ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2021 में दूसरी बेटी की शादी करने के बाद उसकी दुकान बंद हो गई। तबसे उसकी माली हालत अच्छी नही थी। दबी जुबान कुछ लोगों ने यह भी बताया कि वह काफी कर्ज में था तथा महाजन उसे आए दिन परेशान कर रहे थे। जिससे वह चिड़चिड़ा सा हो गया था। उधर कुछ ग्रामीणों ने बताया कि तंगी से उबरने के लिए उसने अपनी पुश्तैनी दस कट्ठा जमीन पर मिट्टी कटवाने की शर्त पर एक ईंट भट्ठा मालिक से वह कुछ रुपया उधार लिया था। सूत्रों ने बताया कि इस बात की भनक लगने के बाद उसके छोटे भाइयों ने पुश्तैनी जमीन से मिट्टी कटवाने के उसके निर्णय का विरोध भी किया था। जो मृतक को नागवार गुजरा था। उसी दिन से वह नाराज होकर बिना बताये गायब हो गया था।
कई ग्रामीणों ने बताया कि मृतक बेहद ईमानदार व मिहनती था। किराना दुकान बंद होने के बाद अपने परिवार का भरण पोषण करने के उद्देश्य से तीस किमी दूर बलिया के सुरेमनपुर जाकर वह साइकिल पर हरी सब्जी लादकर अपनी दुकान तक लाता था तथा उसे बेंच कर लगभग एक हजार रुपये की नियमित आमदनी कर लेता था। आत्महत्या की घटना से पूरे गांव में शोक की लहर व्याप्त है।
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