अजूबा रेलवे स्टेशन, जहां नहीं होती है ट्रेनों का आवागमन, स्टेशन मास्टर और RPF से लेकर सभी कर्मी है तैनात

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नेशनल डेस्क। उत्तर प्रदेश के संभल में देश का अनोखा रेलवे स्टेशन है. भारत की आजादी के बाद स्थापित इस अनोखे रेलवे स्टेशन का नाम हातिम सराय है. यहां रेलवे कर्मचारी, स्टेशन की सुरक्षा के लिए आरपीएफ चौकी समेत सभी जरूरी संसाधन और सुविधाएं मौजूद हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि सभी सुविधाओं के बावजूद यहां किसी भी ट्रेन का आवागमन नहीं है. इससे अधिक ताज्जुब की बात यह है कि यहां रहने वाले कई परिवारों के बच्चों और युवाओं ने आज तक ट्रेन ही नहीं देखी है.

भले ही संभल के हातिम सराय रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का आवागमन न होता हो, लेकिन स्टेशन पर स्टेशन मास्टर से लेकर कई दर्जन रेल कर्मचारियों का स्टाफ वर्षों से यहां तैनात है. इतना ही नहीं यहां आरपीएफ की चौकी भी है. जिसमें जवान ट्रेनों की आवाजाही न होने के बावजूद स्टेशन पर ड्यूटी देते हैं.

क्या है वजह?
दरअसल, संभल के इस अजूबे हातिम सराय रेलवे स्टेशन पर आकर रेलवे ट्रैक समाप्त हो जाता है. सिर्फ संभल तक ही रेल पटरी होने की वजह से इस रेलवे स्टेशन पर किसी भी ट्रेन का आवागम नहीं होता है. आजादी के बाद से अब तक रही प्रदेश और देश की सरकारें आजादी के 75 साल बाद भी संभल की रेलवे लाइन को 1 इंच भी आगे नहीं बड़ा सकी हैं.

संभल के लोगों की मांग पर यहां से पूर्व बीजेपी सांसद सत्यपाल सैनी के प्रयास से एक डीएमयू ट्रेन संभल से मुरादाबाद तक चलाई गई थी, जो कई-कई महीने अक्सर खराब रहती थी. जिसके चलते उस डीएमयू ट्रेन का संचालन भी तीन साल पहले बंद कर दिया गया.

रेलवे ट्रैक पर घूमते हैं आवारा पशु
स्थानीय लोग कई दशक से संभल की रेल पटरी को गजरौला से जोड़ेने के लिए सरकार से मांग कर रहे हैं. सामाजिक संगठन संभल-गजरौला रेल लाइन विस्तार के लिए 10 हजार पोस्ट कार्ड सरकार को भेजने के अलावा पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, ममता बनर्जी समेत सरकार के कई बड़े नेताओं से मिल चुके हैं. लेकिन संभल की रेल लाइन को आज तक गजरौला रेल लाइन से नहीं जोड़ा जा सका है. संभल के इस रेलवे ट्रैक पर आवारा पशु घूमते रहते हैं. इलाके के लोग रेल ट्रैक को आने-जाने के इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में जब प्रधानमंत्री देश में बुलेट और मेट्रो ट्रेन की बात कर रहे हैं. तो संभल के इस रेलवे स्टेशन की यह तस्वीर हैरान करने वाली है.

लोकसभा चुनाव में किया था वादा
पूर्व सांसद सत्यपाल सैनी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां के लोगों से संभल-गजरौला रेल लाइन निर्माण कराने के वादे पर ही वोट मांगकर जीत हासिल की थी. चुनाव जीतने के बाद जब भी जनता ने उन्हें अपना वादा याद दिलाया तो सांसद ने जल्द ही बजट जारी होने की घोषणा कर संभल-गजरौला रेल लाइन निर्माण के शुरू होने के दावे किए थे.

मौजूदा सांसद शफीकुर्र रहमान ने भी उठाई थी मांग
सांसद शफीकुर्र रहमान भी ट्रेनों के आवागमन के लिए सरकार से संभल-गजरौला रेल ट्रैक के विस्तार की कई बार मांग कर चुके हैं. सपा के राज्यसभा सांसद जावेद अली ने संभल-गजरौला रेल लाइन निर्माण के संदर्भ में रेल राज्यमंत्री से आरटीआई के जरिए सवाल पूछे थे. जिसके जवाब में रेल राज्य मंत्री ने लिखित जानकारी देकर संभल-गजरौला रेल लाइन निर्माण को घाटे का प्रोजेक्ट बताते हुए बजट जारी करने से इनकार कर दिया था.

संभल में मृत पशुओं की हड्डी और सींग से बनाए जाने वाले हैंडी क्राफ्ट आइटम से दुनिया भर में अलग पहचान है. सरकार को जिले के हैंडी क्राफ्ट आइटम के कारोबारियों से हर साल करोड़ों का राजस्व और विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है. इसके बावजूद संभल की रेलवे लाइन का विस्तार न करना रेल मंत्रालय का फैसला हैरान करने वाला है.