छपरा में आर्केस्ट्रा से 14 नाबालिक लड़कियों का पुलिस ने किया रेस्क्यू, फिल्म में काम का लालच देकर किया गया शोषण

छपरा
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छपरा। सारण जिला में आर्केस्ट्रा में काम करने वाली 14 नाबालिक बच्चियों को रेस्क्यू किया गया है सारन जिला के भेल्डी परसा अमनौर दरियापुर के अलग-अलग जगह पर रेस्क्यू टीम द्वारा छापेमारी करते हुए 14 बच्चियों को मुक्त कराया गया जिन्हें काउंसलिंग के बाद बृहद आश्रय गृह जिला दही भैंस खाल भेजा जाएगा एक साथ 14 बच्चों का रेस्क्यू स्थानीय पुलिस और रेस्क्यू टीम के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है रेस्क्यू फाउंडेशन और नारायणी सेवा संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से अभियान चलाकर बच्चों को आर्केस्ट्रा के दलदल से निकल गया है।

14 नाबालिक लडकिया बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जगह की रहने वाली है। जिन्हें पैसे के लालच में आर्केस्ट्रा  संचालकों द्वारा डांस कराया जाता था। इस मामले में रेस्क्यू फाउंडेशन द्वारा छपरा महिला थाने में प्राथमिक की दर्ज करते हुए संचालकों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर आवेदन दिया गया है।

जौनपुर की डॉली की कहानी

रेस्क्यू की गई लड़कियों में उत्तरप्रदेश कर जौनपुर की रहने वाली डॉली भी है जिसका कहानी इन सभी लड़कियों से अलग हैं। इंस्टाग्राम, फेस बुक और यूट्यूब पर रील बनाने बनाने के दौरान एक लड़की द्वारा एल्बम में काम कराने के  बहाने पटना बुलाया गया। एक दो एल्बम में पीछे नाचने वाली लड़कियों के रूप में काम करवाया गया और फिर आर्केस्ट्रा में पैसे का लालच देकर डांस कराये जाने लगा।

 डॉली ने बताया किमैं उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की रहने वाली हूँ। मैं फेसबुक और इंस्टाग्राम पर रील्स बनाती हूँ। इसी दौरान फेसबुक के माध्यम से पटना के एक लड़की रानी से मुलाक़ात हुआ और रानी ने एलबम में काम कराने को बोलकर पटना बुला लिया। इसके बाद एक दो एल्बम सहरसा और मानसी में शूटिंग कराई गई। फिर मॉइ पटना आ गई। पटना में आने के बाद रानी बोली कि हमेशा एल्बम में काम नही मिलेगा।

ऐसे बैठे रहने से अच्छा है कि आर्केस्ट्रा में काम कर लो और पैसे का लालच दिखाने लगी। पैसे के जरूरत को पूरा करने के लिए मैंने एक दो कार्यक्रम किया। उसके बाद अब लगातार कर रही हूं। इसी बीच पिता जी की देहांत हो गई। मां हमेशा बिहार रहती है। डांस का शौक अब मजबूरी बन गया है।

मैं वीडियो बनाने वाली क्रियेटर हूँ। डांस करना मेरा शौख है। एल्बम का दो हजार रुपये मिलते थे। अब कार्यक्रम करती हूं तो प्रत्येक रात दो हजार तक रुपये मिलते है। साथ ही डांस के दौरान दर्शकों द्वारा मिले रुपये में संचालक द्वारा आधा ले लिया जाता है।इंस्टाग्राम में मेरा 9 हजार फॉलोवर है। फेसबुक पर भी 6 हजार फॉलोवर है।

14 लड़कियों को रेस्क्यू किया गया

रेस्क्यू फाउंडेशन के कॉर्डिनेटर बीरेंद्र कुमार ने बताया कि आज तीन थाना क्षेत्र से 14 लड़कियों को रेस्क्यू किया गया है।जिसमे अधिकतर लडकिया उत्तरप्रदेश और बंगाल की रहने वाली है। सर में नाबालिक बच्चियों की सूचना बेतिया में रिस्क कार्यक्रम के दौरान वहां के कुछ लड़कियों द्वारा दिया गया था जिसके बाद स्थानीय नारायणी सेवा संस्थान से इसका सत्यापन कराया गया। सत्यापन सही पाए जाने के बाद इसकी सूचना राष्ट्रीय बाल आयोग को दी गई

राष्ट्रीय बाल आयोग द्वारा स्थानीय जिला प्रशासन और पुलिस को इसकी जानकारी दी गई और बीती रात में तीन थाना क्षेत्र के अलग-अलग जगह पर छापामारी करते हुए 14 नाबालिक बच्चियों को रेस्क्यू किया गया।

रात तक नाबालिक लड़कियों से डांस कराया जाता है

रेस्क्यू फाउंडेशन के फाउंडर त्रिवेणी आचार्य ने बताया कि लड़कियां बेहद ही दयनीय स्थिति में रह रही थी। संचालकों द्वारा दी रात तक नाबालिक लड़कियों से डांस कराया जाता है। जिससे वह डरी हुई और थकी हुई रहती है। साथ ही कई बार उनके साथ अनैतिक कार्य भी किए जाते हैं। बिहार में आर्केस्ट्रा को सामाजिक स्वीकृति मिल गई है जिसमें लोग स्टेटस सिंबल के रूप में आर्केस्ट्रा का डांस करते हैं आर्केस्ट्रा बुक करने वाले लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि जो लड़कियां डांस कर रही है उन्हें अपनी मर्जी से लाया गया है या जबरन डांस कराया जा रहा है। आर्केस्ट्रा की दुनिया में मर्जी से कोई नहीं आता निश्चित तौर पर इन्हें डराकर धमकाकर, और बहलाकर ब्लैकमेल करते हुए मानव तस्करी के तहत लाया जाता है।