‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ के तहत RPF पुलिस ने 908 बच्चों को परिवार से मिलाया

छपरा
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

छपरा। पिछले आठ वर्षों में रेलवे सुरक्षा बल आरपीएफ. ‘नन्हे फरिश्ते’ नामक एक ऑपरेशन में अग्रणी रहा है। यह एक मिशन जो विभिन्न भारतीय रेल जोनों एवं मंडलों में पीड़ित बच्चों को बचाने के लिए समर्पित है। पिछले आठ वर्षों (2017- 2024) के जूलाई,2024 तक के दौरान, वाराणसी मंडल के रेलवे सुरक्षा बल जवानों ने स्टेशनों और ट्रेनों में खतरे में पड़े या खतरे में फंसने से 908 बच्चों को बचाया है।

इसी क्रम में, ‘नन्हे फरिश्ते’ ऑपरेशन के तहत वाराणसी मंडल के विभिन्न स्टेशनों से वर्ष 2017-2018 में कुल 232, वर्ष 2019-2020 में 200 ,वर्ष 2021-22 में 229 तथा वर्ष 2023-2024 के 29 जूलाई तक 232 तथा 15 बच्चों को तस्करों से बचाया गया। इनमें घर से भागे हुये, लापता,बल मजदूरी के लिए, बिछड़े हुए, निराश्रित, अपहृत, मानसिक रूप से विक्षिप्त एवं बेघर बच्चे सम्मिलित हैं।

बच्चों के लिए एक जीवन रेखा है

‘नन्हे फरिश्ते’ सिर्फ एक ऑपरेशन से कहीं अधिक है; यह उन सैकडों बच्चों के लिए एक जीवन रेखा है जो खुद को अनिश्चित परिस्थितियों में पाते हैं। 2017 से 2024 तक का डेटा, अटूट समर्पण, अनुकूलन शीलता और संघर्ष क्षमता की कहानी दर्शाता है। प्रत्येक बचाव समाज के सबसे असुरक्षित सदस्यों की सुरक्षा के लिए रेलवे सुरक्षा बल की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। वर्ष 2018 में ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ की महत्वपूर्ण शुरुआत हुई। इस वर्ष,वाराणसी मंडल के रेलवे सुरक्षा बल जवानों ने कुल 153 पीड़ित बच्चों को बचाया था , जिनमें 134 लड़के और 19 लड़कियां शामिल थे । इस तरह की पहल की तत्काल आवश्यकता को उजागर करते हुए ऑपरेशन के लिए एक मजबूत नींव रखी गई। वर्ष 2019 के दौरान, रेलवे सुरक्षा बल के प्रयास लगातार सफल रहे ।

908 बच्चों को बचाने में सफल रही टीम :

जुलाई 2024 तक वाराणसी मंडल के रेलवे सुरक्षा बल की टीम 908 बच्चों को बचाने में सफल रही। 2024 के 29 जूलाई तक रेलवे सुरक्षा बल ने 128 बच्चों को बचाया है। जिसमे 95 लड़के तथा 37 लड़कियाँ है। शुरुआती रुझान ऑपरेशन ‘नन्हे फरिश्ते’ के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता का प्रमाण देते हैं। ये संख्या बल मजदूरी एवं अन्य कारणों से बच्चों के भागने की लगातार जारी समस्या तथा उन्हें अपने माता-पिता के पास सुरक्षित पहुंचने के लिए रेलवे सुरक्षा बल के किए गए प्रयासों दोनों को दर्शाती हैं।

चुनौतियों का सामना कर भारत के विशाल रेलवे नेटवर्क में बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने का प्रयास :

रेलवे सुरक्षा बल ने अपने प्रयासों से, न केवल बच्चों को बचाया है, बल्कि घर से भागे हुए और लापता बच्चों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता भी बढ़ाई है, जिसमे आगे की कार्रवाई और विभिन्न हित धारकों से समर्थन मिला। रेलवे सुरक्षा बल का ऑपरेशन का दयारा लगातार बढ़ रहा है, रोज नई चुनौतियों का सामना कर भारत के विशाल रेलवे नेटवर्क में बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

पोर्टल पर बच्चों की जानकारी

ट्रैक चाइल्ड पोर्टल पर बच्चों की पूरी जानकारी उपलब्ध रहती है। वाराणसी मंडल के बनारस,छपरा, सीवान, बलिया, देवरिया सदर, मऊ एवं गाजीपुर सिटी स्टेशनों के अलावा विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्पडेस्क उपलब्ध है। रेलवे सुरक्षा बल मुक्त कराए गए बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति अथवा चाईल्ड लाइन को सौंप देती है, जो बच्चों को उनके माता-पिता/अभिवावक को सौंप देती है।