Chhapra Double Decker Flyover: 411 करोड़ की लागत से बन रहा है फ्लाईओवर, अब तक 75% काम पूरा
ज़मीन अधिग्रहण और तकनीकी अड़चनों ने रोका रफ्तार

छपरा। उत्तर भारत का पहला और देश का सबसे बड़ा डबल डेकर फ्लाईओवर छपरा शहर में आकार ले रहा है। यह परियोजना राज्य में यातायात जाम की समस्या को स्थायी समाधान देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। करीब 411 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस मेगाप्रोजेक्ट का 75% कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन इसकी रफ्तार तय समय से दो साल पीछे चल रही है।
तय समय से दो साल पीछे
इस फ्लाईओवर को पहले 2023 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब दिसंबर 2025 तक इसके तैयार होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस देरी की प्रमुख वजह भूमि अधिग्रहण की जटिलता, तकनीकी समस्याएं और निर्माण एजेंसी की धीमी प्रगति बताई जा रही है।
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क्या है अब तक की प्रगति?
- 1558 में से 1400 पाइल तैयार हो चुके हैं।
- 467 बीम में से 380 बीम बनकर तैयार हो चुके हैं।
- फर्स्ट डेकर के 96 में से 80 बीम का काम पूरा।
- सेकंड डेकर के 200 बीम में से अधिकांश बीम तैयार हैं।
- लगभग 150 पाइल भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में अटके हुए हैं।
क्यों है यह फ्लाईओवर अहम?
यह डबल डेकर फ्लाईओवर छपरा शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों को जोड़ते हुए नगर की यातायात व्यवस्था को नया रूप देगा। यह न केवल स्थानीय लोगों को राहत देगा, बल्कि सारण प्रमंडल के अन्य हिस्सों के लिए भी सुगम आवागमन सुनिश्चित करेगा। निर्माण पूरा होने के बाद यह फ्लाईओवर एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा, क्योंकि यह देश का पहला पूर्ण रूप से दो मंजिला फ्लाईओवर होगा, जो शहरी ट्रैफिक को ऊपर-नीचे दोनों लेवल पर व्यवस्थित करेगा।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय व्यापारियों और आम नागरिकों का कहना है कि “अगर यह फ्लाईओवर तय समय पर बन जाता, तो आज छपरा को जाम से मुक्ति मिल चुकी होती। अब उम्मीद है कि दिसंबर 2025 तक यह सपना साकार हो जाएगा।”
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छपरा का डबल डेकर फ्लाईओवर न सिर्फ राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक इंजीनियरिंग मॉडल बन सकता है, बशर्ते इसके निर्माण में और देरी न हो। सरकार, निर्माण एजेंसी और स्थानीय प्रशासन को समन्वय के साथ कार्य को समयसीमा में पूर्ण करने की जरूरत है।