छपरा

Railway News: छपरा का एक अजूबा रेलवे स्टेशन, जहां 15 साल में नहीं रूकी एक भी ट्रेनें

15 साल पहले बना था छपरा ग्रामीण जंक्शन

छपरा। रेलवे स्टेशन बनते हैं यात्रियों की सुविधा के लिए, ट्रेनों के ठहराव के लिए और स्थानीय आवागमन को आसान बनाने के लिए। लेकिन बिहार के सारण जिले में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जो पूरी तरह बनकर तैयार है, जहां से रोज़ाना कई ट्रेनें गुजरती हैं, लेकिन एक भी ट्रेन नहीं रुकती। हम बात कर रहे हैं छपरा ग्रामीण जंक्शन की – एक ऐसा स्टेशन जो 15 सालों से अपनी पहचान और उपयोगिता के लिए तरस रहा है।

स्टेशन है, सुविधाएं हैं…  स्टॉपेज नहीं

पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के अंतर्गत आने वाला यह स्टेशन छपरा-सोनपुर रेलखंड पर स्थित है। इसकी स्थापना करीब 15 साल पहले हुई थी। स्टेशन पर यात्री सुविधाएं मौजूद हैं – जैसे टिकट काउंटर, प्रतीक्षालय (वेटिंग हॉल), शौचालय, पीने का पानी, बैठने की पर्याप्त व्यवस्था और अन्य मूलभूत अवसंरचनाएं।

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लेकिन इन सबके बावजूद, अब तक इस स्टेशन को किसी भी ट्रेन का औपचारिक स्टॉपेज नहीं मिल सका है। यहां से गुजरने वाली हर ट्रेन बिना रुके निकल जाती है, जिससे स्टेशन की उपयोगिता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

ये ट्रेनें रोज गुजरती हैं, पर ठहरती नहीं

छपरा ग्रामीण जंक्शन से रोजाना पांच जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों का आवागमन होता है। इनमें शामिल हैं:

  • छपरा-सोनपुर मेमू
  • फुलवरिया-सोनपुर पैसेंजर
  • सिवान-समस्तीपुर इंटरसिटी
  • पटना-थावे ट्रेन
  • गोरखपुर-पाटलिपुत्र पैसेंजर

इन ट्रेनों का संचालन तो नियमित रूप से होता है, लेकिन छपरा ग्रामीण स्टेशन पर कोई स्टॉपेज नहीं है। नतीजा यह है कि स्टेशन पर वीरानी छाई रहती है और करोड़ों रुपये की लागत से बना यह ढांचा बिना उपयोग के ही धूल खा रहा है।

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सामने हैं विश्वविद्यालय, कॉलेज और मेडिकल कॉलेज – फिर भी नहीं कोई ठहराव

यह स्थिति और भी विडंबनापूर्ण तब हो जाती है जब यह देखा जाए कि स्टेशन के ठीक सामने जयप्रकाश विश्वविद्यालय, जेपी इंजीनियरिंग कॉलेज, और अब छपरा मेडिकल कॉलेज स्थित हैं। हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं रोज इन संस्थानों तक पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें स्टेशन का उपयोग नहीं मिल पाता।

ट्रेनों के न रुकने से सबसे अधिक परेशानी इन्हीं छात्रों को होती है, जिन्हें मुख्य स्टेशन तक जाने के लिए ऑटो, बस या निजी वाहन का सहारा लेना पड़ता है, जिससे समय, ऊर्जा और पैसा – तीनों की बर्बादी होती है।

स्थानीय लोगों की मांग: “स्टेशन को मिलना चाहिए उसका हक”

छात्र संगठनों और नागरिकों ने कई बार रेलवे प्रशासन से छपरा ग्रामीण स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव की मांग की है। लोगों का कहना है कि जब एक स्टेशन संपूर्ण सुविधाओं के साथ तैयार है, वहां से रोज ट्रेनें भी गुजरती हैं, तो आखिर रुकने में दिक्कत क्या है?

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

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