पटना : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शिक्षक भर्ती को लेकर महागठबंधन सरकार की कार्यशैली पर तंज कसते हुए कहा कि अभी बिहार सरकार का दावा है कि उन्होंने दो लाख रिक्ति निकाली है लेकिन नौकरी किसी को मिली नहीं है। आप जरा बताइए कि कितने लोगों को नौकरी दे दी। पहले एग्जाम होने दीजिए, पेपर लीक न हो, कोर्ट में केस न हो, अभ्यर्थी बहाल हो जाएं तब प्रचार कीजिएगा। नीतीश कुमार को घेरते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले साल 15 अगस्त को इन्होंने पटना के गांधी मैदान से कहा था कि मैं एक साल में दस लाख नौकरी दे दूंगा। अब नीतीश कुमार का वो समय पूरा हो चुका है, उन्हें जवाब देने की जरूरत है कि दस लाख नौकरी कहां है। ये आदमी भी सत्ता में रहने के लिए कुछ भी बोलने के लिए तैयार है।
कोई ये पूछने वाला नहीं है कि आप 17 साल से मुख्यमंत्री हैं, आप किस समय का इंतजार कर रहे थे घोषणा करने के लिए। बीते साल जिस दिन इन्होंने घोषणा की है, मैंने उसी दिन कहा था कि अगर नीतीश कुमार 10 लाख सरकारी नौकरी दे दें, तो उनके समर्थन में ये पूरा अभियान वापिस ले लेंगे। यही नहीं उनका झंडा लेकर जीवन भर घूमेंगे, बस दस लाख सरकारी नौकरी देकर दिखा दें। नीतीश कुमार जैसे 100 मुख्यमंत्री भी आ जाएं, तो 10 लाख नौकरी नहीं दे सकते हैं।
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि ये वही हैं जो कह रहे थे कि पहली कैबिनेट में साइन करेंगे और दस लाख नौकरी मिल जाएगी। ये वक्तव्य दिखाता है कि वो आदमी कितना अज्ञानी है। कैबिनेट में साइन होने से नौकरी मिलने का कोई प्रावधान संविधान में हमने तो नहीं देखा। कैबिनेट पदों के सृजन की बात कर सकती है, उसके लिए नियमावली है, सरकार की अपनी प्रक्रिया है। कोई नेता कैबिनेट में साइन कर नौकरी कैसे दे सकता है। बिहार की जनता को उसी समय सवाल पूछना चाहिए था कि भाई साहब आपने संविधान का भला कौन सा अध्याय पढ़ लिया, जिसमें ये पढ़ लिया कि कैबिनेट दस लाख लोगों को नौकरी दे सकती है।
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