छपरा। जनसंख्या वृद्धि दर को कम करने के लिए ग्रामीण इलाकों में परिवार नियोजन से संबंधित विस्तृत रूप से जानकारी देने के बाद ही इस पर काबू पाया जा सकता है। हालांकि इसके लिए जिले के इच्छुक दंपत्तियों को सुविधा का लाभ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा विगत 11 से 31 जुलाई तक परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा का आयोजन किया गया था। इस दौरान लोगों को परिवार नियोजन के विभिन्न सुविधाओं के प्रति जागरूक करते हुए आवश्यक सुविधा लाभ उपलब्ध कराया गया। जिलाधिकारी अमन समीर ने बताया कि जिले के लाभार्थियों को परिवार नियोजन सेवाओं का लाभ उपलब्ध कराना अनवरत जारी रहेगा।
क्योंकि पखवाड़े के बाद भी जिले के सभी अस्पतालों में परिवार नियोजन की सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। जिसका किसी भी लाभार्थी द्वारा स्वास्थ्य कर्मी या चिकित्सकों के सहयोग से लाभ उठाया जा सकता है। जिलेवासियों को ज्यादा से ज्यादा परिवार नियोजन सुविधाओं का लाभ उठा कर अपने परिवार को स्वस्थ और सुरक्षित रखना चाहिए। हालांकि सारण जिला हमेशा से राज्य में अव्वल आता रहा है। जिसको इस बार भी टॉप फाइव में अपना स्थान हासिल किया है
जिले की 5850 महिलाओं को अंतरा की सुई लगाकर राज्य में पहला स्थान हुआ प्राप्त: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन से संबंधित सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध करायी जाती हैं। जिस कारण हाल के दिनों में परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति लोगों का विश्वास काफ़ी बढ़ा है। हालांकि स्थाई साधनों के साथ गर्भ निरोध के अस्थाई साधन भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
परिवार नियोजन स्वस्थ व समृद्ध परिवार का आधार है। क्योंकि यह परिवार का आकार छोटा रखने और दो बच्चों के बीच पर्याप्त अंतर रखने का सुलभ व आसान तरीका है। परिवार नियोजन कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी अमन समीर के दिशा निर्देश में अंतरा सुई (5850) लगाने में सारण जिला राज्य में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए लक्ष्य से अधिक 143 प्रतिशत और 31355 ईसीपी देकर 87 प्रतिशत के साथ पहला स्थान हासिल किया है, वही कंडोम 856695 वितरण में 476 प्रतिशत के साथ दूसरा तो 57858 माला एन की गोली वितरण कर 80 प्रतिशत पूरा करते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
इसी तरह 2508 पीपीआईयूसीडी लगाकर 67 प्रतिशत और 54319 छाया गोली वितरण कर 75 प्रतिशत के साथ चौथा स्थान प्राप्त हुआ है। इसी तरह 39 पुरुष बंध्याकरण कर 33 प्रतिशत जबकि 635 महिला बंध्याकरण कर 40 प्रतिशत के साथ 24 वां स्थान प्राप्त कर परिवार नियोजन कार्यक्रम को शत प्रतिशत सफल बनाया गया है।
परिवार नियोजन कार्यक्रम से संबंधित उपाय अपनाने वाले परिवारों में लगातार हो हुआ इज़ाफा: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) अरविंद कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों के मुताबिक जिले में पांच साल के दौरान नियोजन संबंधी उपाय अपनाने वाले परिवार की संख्या में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जिले में 15 से 49 साल के बीच मां बनने वाली 40 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी नियोजन उपायों को अपनाती हैं। इसमें से लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन के लिए आधुनिक तरीकों पर विश्वास करती हैं।
वहीं स्थायी रूप से परिवार नियोजन के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ कर 30 प्रतिशत तक पहुंच गया है। हालांकि वर्तमान में एक प्रतिशत महिलाएं आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी का इस्तेमाल करती हैं। वहीं 0.9 प्रतिशत महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं। आंकड़ों के अनुसार नियोजन के लिए लगभग 05 प्रतिशत कंडोम या गर्भ निरोधक सुई का इस्तेमाल होता है।
अंतरा सुई लगाकर एकमा ने 224 प्रतिशत के साथ जिले में पाया सर्वोच्च स्थान: डीसीएम
जिला सामुदायिक उत्प्रेरक (डीसीएम) ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि परिवार नियोजन से संबंधित साधनों को बढ़ावा देना स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकताओं में शुमार है। जिसको लेकर समय- समय पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष रूप से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम संचालित किया जाता है। इसी कड़ी में विगत 11 से 31 जुलाई तक जिले में आयोजित परिवार नियोजन पखवाड़ा के दौरान सभी स्वास्थ्य संस्थानों को दिए गए लक्ष्य के अनुरूप सभी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा बेहतर तरीके से लक्ष्य की प्राप्ति हुई है। परिवार नियोजन में सबसे ज्यादा पसंदीदा अंतरा को माना जाता है।
जिसमें एकमा ने लक्ष्य से कहीं ज्यादा 224 प्रतिशत तो लहलादपुर ने 205 जबकि शहरी स्वास्थ्य केंद्र मासूमगंज ने 200 प्रतिशत के साथ सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। इसी तरह से पुरुष बंध्याकरण में सोनपुर, मांझी और गड़खा ने शत प्रतिशत लक्ष्य को पूरा किया है। जबकि सदर अस्पताल ने 75 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा करने में सफलता पाई है। वही महिला बंध्याकरण में गड़खा ने 92 प्रतिशत, सोनपुर ने 84 प्रतिशत तो मांझी ने 75 प्रतिशत के साथ अपनी उपलब्धि हासिल किया है। इसी तरह प्रसवोत्तर अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक उपकरण (पीपीआईयूसीडी) में दिघवारा ने 90 प्रतिशत, इसुआपुर ने 89 प्रतिशत जबकि एकमा ने 88 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया है।
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