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Election Commission: चुनाव आयोग की सर्जिकल स्ट्राइक, 345 ‘लापता’ पार्टियों को दिखाएगा बाहर का रास्ता

कारण बताओ नोटिस और सुनवाई की व्यवस्था

नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने देश की राजनीतिक प्रणाली को पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए 345 रजिस्टर्ड लेकिन निष्क्रिय राजनीतिक दलों (Registered Unrecognized Political Parties – RUPPs) को डीलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन दलों ने वर्ष 2019 से अब तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया और न ही देशभर में इनके कार्यालयों का कोई भौतिक अस्तित्व पाया गया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा मुख्य निर्वाचन आयुक्त  ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में हुई, जिसमें निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी भी शामिल रहे।

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निष्क्रिय दलों की पहचान की व्यापक प्रक्रिया

भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, देश में इस समय 2800 से अधिक पंजीकृत गैर मान्यताप्राप्त राजनीतिक दल (RUPPs) हैं। इनमें से बड़ी संख्या में दल ऐसे हैं जो पंजीकरण की बुनियादी शर्तों को भी पूरा नहीं कर रहे हैं, जैसे—चुनावों में भागीदारी, सक्रिय कार्यालय और कार्यकर्ता संरचना आदि।

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चिंता जताते हुए आयोग ने बताया कि ऐसे दलों के ज़रिए कई बार कर छूट और राजनीतिक पहचान का गलत इस्तेमाल भी देखा गया है, जिससे चुनावी प्रणाली की शुचिता पर सवाल खड़े होते हैं।

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कारण बताओ नोटिस और सुनवाई की व्यवस्था

हालांकि, निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि डीलिस्टिंग की प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होगी। इस क्रम में आयोग ने संबंधित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को निर्देश दिया है कि वे चिन्हित 345 दलों को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी करें। इसके बाद उन्हें सुनवाई का अवसर दिया जाएगा।

डीलिस्टिंग का अंतिम निर्णय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा ही लिया जाएगा, ताकि किसी भी दल के साथ अन्याय न हो।

डीलिस्टिंग के क्या होंगे प्रभाव?

देश में किसी भी राजनीतिक दल का पंजीकरण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29A के तहत होता है। इसके तहत पंजीकृत दलों को आयकर में छूट, चुनाव चिन्ह, और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं। निष्क्रिय दलों की डीलिस्टिंग से ये विशेषाधिकार स्वतः समाप्त हो जाएंगे।

क्यों जरूरी है यह कदम?

  • निष्क्रिय और ‘फर्जी’ दलों के माध्यम से धन शोधन और कर चोरी की आशंकाएं बढ़ी हैं।
  • ये दल न तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग ले रहे हैं, न ही कोई जनसंपर्क कार्य कर रहे हैं।
  • चुनावी मैदान में वास्तविक और सक्रिय दलों को समान अवसर देने के लिए यह प्रक्रिया जरूरी मानी जा रही है।

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आगे भी जारी रहेगा अभियान

भारत निर्वाचन आयोग ने संकेत दिए हैं कि यह अभियान यहीं नहीं रुकेगा। निष्क्रिय और अनियमित राजनीतिक दलों की पहचान और राजनीतिक व्यवस्था की सफाई का कार्य आगे भी जारी रहेगा। यह कदम लोकतंत्र को मजबूत और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक और बड़ा प्रयास माना जा रहा है। 345 राजनीतिक दलों को डीलिस्ट करने की यह प्रक्रिया सक्रिय लोकतंत्र और पारदर्शी चुनाव प्रणाली के निर्माण की दिशा में एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम है। भारत निर्वाचन आयोग की यह कार्यवाही यह स्पष्ट संकेत देती है कि राजनीतिक पहचान सिर्फ नाम के लिए नहीं, बल्कि जिम्मेदार भागीदारी के लिए होनी चाहिए।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

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