छपरा। पश्चिम बंगाल की एक साहसी लड़की अमीना खातून। जिसने लगभग एक साल छपरा की जेल में बिताया, अब आजादी का अनुभव कर रही है। उसे हाल ही में उच्च न्यायालय द्वारा निर्दोष करार दिया गया, लेकिन रिहाई की प्रक्रिया में कई बाधाएँ थीं। उसकी कहानी केवल उसके संघर्ष की नहीं, बल्कि समाज में फैली बेड़ियों और मानसिकता की भी है।
गरीबी के कारण असंभव थी रिहाई:
अमीना के परिवार ने उसकी रिहाई में कोई मदद नहीं की थी, जो कि गरीबी के कारण संभव नहीं हो पा रही थी। इस कठिन समय में, ‘फेस ऑफ फ्यूचर इंडिया’ और ‘वन स्टॉप सेंटर छपरा’ ने आगे बढ़कर अमीना की मदद की। फेस ऑफ फ्यूचर इंडिया के अध्यक्ष मंटू कुमार यादव ने न केवल अमीना को सहायता प्रदान की, बल्कि उसकी रिहाई के बाद उसके परिवार को यात्रा का खर्च भी मुहैया कराया।
क्या है मामला:
दरअसल सारण जिले के भेल्दी थाना क्षेत्र के बेदवलिया गांव निवासी आलमगीर अंसारी की चाकू मारकर 10 जुलाई 2023 को कर दी गयी थी। पहली पत्नी और दूसरी पत्नी अमीना खातून पर लगा था। जिसके बाद अमीना को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसी मामले में एक साल से वह जेल में बंद थी लेकिन 27 जुलाई 2024 को पटना हाईकोर्ट ने उसे निर्दोष करार देते हुए जेल से रिहा कर दिया। अमीना अपने ससुराल नहीं जाना चाहती थी। वह अपने मायके पश्चिम बंगाल के कुच बिहार जिले के फंडीबारी थाना क्षेत्र के जतरापुर जाना चाहती थी।
जेल अधीक्षक को लिखा था पत्र:
इसको लेकर अमीना ने जेल अधीक्षक को पत्र लिखा था। जिसके बाद जेल अधीक्षक ने महिला हेल्पलाइन के प्रबंधक मधुबाला को पत्र लिखा। महिला हेल्पलाइन की टीम ने फेस ऑफ फ्यूचर इंडिया के सहयोग से अमीना के परिजनों से संपर्क करने में सफल रही। जिसके बाद अमीना परिवार वाले छपरा पहुंचे और उसे अपने साथ ले गये।
आंखों से छलक रहा था खुशी की आंसू:
विदित हो कि महिला के परिजन अपने निर्धनता के कारण अमीना खातून को ले जाने में असमर्थ थे लेकिन फेस ऑफ़ फ्यूचर इंडिया के अध्यक्ष मंटू कुमार यादव परिजनो का रेल टिकट आने जाने का रकम उसके परिजन को दिया। फिर महिला अपने घर अपने परिवार के साथ वापस चली गई। अमीना की रिहाई का पल बेहद भावुक था। जब उसने अपने भाइयों और अन्य परिजनों से मुलाकात की, तो उसकी आंखों से आंसू बह निकले। यह एक सुखद पल था, जहां हर कोई खुशी से झूम रहा था। इस अवसर पर, जेल के अधीक्षक, उपाधीक्षक और अन्य कर्मियों ने भी मंटू कुमार यादव और उनके सहयोगियों को उनके साहसिक कार्य के लिए धन्यवाद दिया।
अमीना ने अपनी रिहाई के बाद अपने परिवार के साथ घर लौटते समय खुशी का अनुभव किया। यह कहानी न केवल अमीना के संघर्ष की है, बल्कि यह एक ऐसे समाज की कहानी है जो अक्सर अपने ही लोगों को जंजीरों में जकड़ देता है।
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