छपरा

कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए आशा कार्यकर्ताओं का किया जायेगा उन्मुखीकरण

ओपीडी में इलाज के लिए आने वाले कुपोषित बच्चों की होगी पहचान
काउंसलिंग के दौरान पाये गये कुपोषित बच्चों को भेजा जायेगा एनआरसी सेंटर
सिविल सर्जन ने जारी की आवश्यक दिशा-निर्देश
छपरा। जिले में कुपोषण के दर में कमी लाने के उद्देश्य से कुपोषण को दूर करने लिए स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग द्वारा कई स्तर पर महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है। कुपोषित बच्चों के बेहतर उपचार के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किया जा रहा है। जहां पर कुपोषित बच्चों को भर्ती कर सुपोषित किया जाता है। पोषण पुनर्वास केंद्र का लाभ कुपोषित बच्चों को मिले इसको लेकर सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने पत्र जारी कर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिया है। सीएस ने निर्देश दिया है कि कुपोषित बच्चों की स्क्रिनिंग को सुदृढ़ किया जाये। इसके लिए ओपीडी, आईपीडी और अरोग्य दिवस पर आने वाले बच्चों में कुपोषित की पहचान करना सुनिश्चित करें।

चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा रेफर किये गये सैम बच्चे के परामर्श एवं भर्ती में फीडिंग डेमोंस्ट्रेटर सहायता प्रदान करेंगे। एनआरसी में कार्यरत स्टाफ नर्स तथा फीडिंग डेमोंस्ट्रेटर नियमित रूप से ओपीडी, आईपीडी तथा इन्फ़ैंट ऐंड यंग चाइल्ड फ़ीडिंग काउंसलिंग सेंटर पर आने वाले कुपोषित बच्चों को प्रोटोकॉल के अनुसार एनआरसी में भर्ती करवाना सुनिश्चित करें। ओपीडी में स्क्रीनिंग से आने वाले बच्चों के आंकड़ों का संधारण किया जाये तथा इसका नियमित रूप से समीक्षा हो। संस्थान के इन्फ़ैंट ऐंड यंग चाइल्ड फ़ीडिंग काउंसलर की यह जिम्मवादी होगी कि काउंसलिंग के दौरान पाए गए कुपोषित बच्चों को सेकंड स्क्रिनिंग हेतु पोषण पुनर्वास केंद्र में रेफर करना सुनिश्चित करें ।

आशा कार्यकर्ताओं का होगा उन्मुखीकरण:

सिविल सर्जन ने आदेश दिया है कि आशा कार्यकर्ता के माध्यम से बच्चो को पोषण पुनर्वास केंद्र में एडमिशन बढ़ाने के लिए उनका आशा दिवस पर उन्मुखीकरण सुनिश्चित हो। कुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए उन्हें सुपोषित करने संबंधी जानकारी दी जायेगी। सिर्फ 10 से 15 फीसद अति गंभीर कुपोषित बच्चों को संस्था आधारित देखभाल की जरूरत होती है। अति गंभीर कुपोषित बच्चों को स्वस्थ करने के लिए उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्रों में भेजा जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक केवल 10 से 15 फीसद ही अति-गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भेजने की जरूरत है। 90 फीसद बच्चे समुदाय आधारित देखभाल से ही स्वस्थ हो सकते हैं।

दो साल में 288 कुपोषित बच्चों का हुआ सफल उपचार:

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी सह पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल पदाधिकारी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों के उपचार की बेहतर सुविधा उपलब्ध है। दो साल में 288 कुपोषित बच्चों का इलाज कर सुपोषित किया गया है। अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 155 तथा अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक 133 कुपोषित बच्चों का इलाज हुआ है। राज्य में बाकि 23 जिलों से सारण जिले का प्रदर्शन काफी अच्छा है।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

Related Articles

Back to top button
close