छपरास्वास्थ्य

Pitru Paksha: पिता की स्मृति में 18 वर्षों से निःशुल्क परामर्श दे रहे हैं डॉ. अनिल कुमार

हर साल 15 दिनों तक बिना शुल्क मिलता है इलाज

छपरा। पितृपक्ष का समय सिर्फ पूजा-पाठ और कर्मकांड का नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति सच्चे अर्थों में श्रद्धा और सेवा का संकल्प लेने का भी अवसर है। इसी परंपरा को जीवंत बनाए हुए हैं संजीवनी नर्सिंग होम एवं मेटरनिटी सेंटर के संस्थापक और प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. अनिल कुमार।पिछले 18 वर्षों से पितृपक्ष के पूरे 15 दिनों तक वे मरीजों से निःशुल्क परामर्श शुल्क लेकर अपने पिता की स्मृति को श्रद्धांजलि अर्पित करते आ रहे हैं।

सेवा के माध्यम से पिता को श्रद्धांजलि:

डॉ. अनिल कुमार का मानना है कि माता-पिता ने हमें जीवन और संस्कार दिए हैं, इसलिए उनकी सच्ची स्मृति सेवा और समाज के लिए समर्पण में ही है। उन्होंने कहा “मेरे पिता ने ही मुझे इस योग्य बनाया। उनका सादा जीवन और ईमानदारी की सीख आज भी मेरी प्रेरणा है। पितृपक्ष में पूजा-पाठ से बढ़कर मैं यह मानता हूं कि अगर मैं अपने कार्य से ज़रूरतमंदों की मदद कर सकूं, तो यही उनके लिए सच्चा पुण्य है।”

गरीब और वंचितों को बड़ी राहत

इस अवधि में संजीवनी नर्सिंग होम आने वाले मरीजों से किसी भी प्रकार का परामर्श शुल्क नहीं लिया जाता, चाहे सामान्य इलाज हो या इमरजेंसी सेवा। यह पहल खासकर गरीब और वंचित मरीजों के लिए बड़ी राहत बनती है।

समाज के लिए एक प्रेरणा

जहां अक्सर चिकित्सा क्षेत्र को व्यावसायिकता के दायरे में देखा जाता है, वहीं डॉ. अनिल कुमार का यह प्रयास समाज में मानवता और सेवा भावना का जीवंत उदाहरण है। वे कहते हैं— “जब तक मैं सक्षम हूं, यह परंपरा ऐसे ही जारी रहेगी। समाज में विश्वास और मानवीय मूल्यों को बनाए रखना भी एक डॉक्टर की जिम्मेदारी है।”

सांस्कृतिक और सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन

डॉ. अनिल कुमार का यह प्रयास न केवल उनके पिता की स्मृति को जीवंत करता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि कर्म और सेवा से ही दी जा सकती है। उनका यह कदम समाज के लिए प्रेरणा है और पितृपक्ष के सांस्कृतिक महत्व को और गहराई देता है।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

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