अरेराज मेले से एक साधु ने की थी चोरी, मरते वक्त बताई राज की बात
छपरा। कभी आपने फिल्मों में देखा होगा कि छोटे उम्र में बच्चा अपने माता- पिता से बिछड़ जाता है। फिर जब उसे असलियत का पता चलता है तो नौजवान होने के बाद माता-पिता की तलाश में निकल पड़ता है। बिहार के एक लाल की कुछ ऐसी ही कहानी है। तीन साल की उम्र में माता-पिता के साथ बिहार के मोतिहारी के अरेराज मेला घुमने गया था। वहां एक संत ने उसे अगवा कर लिया। फिर मुंबई रखने लगा। 15 साल बाद जब साधु मरने लगा तो उस बालक से हकीकत बता दिया अौर मर गया। वह बालक आज 18 साल की उम्र में बिहार के विभिन्न जिलों और कस्बों को छान रहा है। माता-पिता को खोज रहा है। दो साल से तलाश कर रहा है। कहीं मजदूरी भी कर लेता है और फिर खोज में निकल पड़ता है। तकरीबन आधा बिहार घूम गया अभी तक परिवार को नहीं तलाश पाया है।
साधु मेला से चुराने के बाद मुंबई लेकर चला गया,मरते वक्त सच्चाई बता दिया
पवन कुमार की कहानी काफी दिलचस्प है। पवन कुमार की अभी वर्तमान उम्र 18 वर्ष है। दो वर्ष पूर्व तक वह मुंबई में एक साधु के संग रहता था। साधु एक मंदिर में पूजा अर्चना करता था और यह उसका सेवा करता था। साधु भी इसे अपने पुत्र की तरह प्रेम करता था।साधु ने इससे कहा था कि तुम मेरे पुत्र हो तो युवक ने जब अपने मां के बारे में पूछा तो साधु ने कहा की तुम्हारी माता मर चुकी है।लेकिन जब साधु की तबीयत खराब हुई ,मरने लगा तो उसने पवन से सच्चाई बताते हुए कहा िक तुम मेरे पुत्र नही हो।आज से लगभग 15 वर्ष पूर्व बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के अरेराज धाम पर जब तुम तीन वर्ष के थे। तब तुम्हारे माता पिता पूजा करने आए थे।जहा से तुम्हे एक साधु ने चुरा लिया था।उससे मैं तुम्हे लेकर मुंबई चला आया और तुम्हे अपने बेटे की तरह रख लिया।लेकिन जब मैं अब इस दुनिया से जा रहा हूं तो सोचा कि सच्चाई तुम्हें बता दूं। हकीकत जानने के बाद बिहार के लिए निकल गया पवन हकीकत सुनने के बाद पवन बिहार आ गया। गांव घूम कर अपनी कहानी बता कर अपने माता पिता को ढूंढ़ रहा है। शनिवार को इसी क्रम में युवक तरैया थाना क्षेत्र के डुमरी गांव प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि धनवीर कुमार सिंह विक्कु के घर पहुंचा।जहा अपनी आप बीती सुनाते हुए सारी घटना के बारे में बता रहा है और फफक फफक कर रो रहा है।फिलहाल युवक डुमरी पंचायत के हरदासचक गांव के रामचंद्र साह के घर शरण लिए हुए है।
मंदिर,मस्जिद,चर्च सभी के आगे टेकता है माथा
पवन कुमार ने रोते हुए बताया कि मेरा नाम क्या है। मुझे पता नहीं है। मेरा नाम पवन साधु बाबा ने रखा है। जिनके पास मैं मुंबई के एक मरघट में रहता था। मैं उन्हे ही अपने पिता मानता था। बीच बीच में मुझे अपनी मां से मिलने की इच्छा होती थी तो बाबा कहते थे कि वह इस दुनिया में नही है। लेकिन बाबा ने मरते वक्त जब बताया वह उसे तीन वर्ष की उम्र में बिहार के अरेराज से लाए है। तुम्हारे माता पिता बिहार में कही आज जरूर होंगे। हो सकता है वे तुम्हारी बाट जोह रहे होंगे। मुझे जब इसकी जानकारी हुई मेरी उम्र लगभग 16 वर्ष हो चुकी थी। तब मुझे अपने माता पिता से मिलने की इच्छा प्रबल हो गई और मैं मुंबई से पवन एक्सप्रेस से बिहार पहुंच गया। फिर अरेराज गया। अब वहां से गांव गांव घूम रहा हूं।प्रत्येक मंदिर,मस्जिद,चर्च या कोई भी पूजा का स्थल है वहा माथा टेकता हूं और भगवान से फरियाद करता हूं।की मेरी संदेश मेरे माता पिता तक पहुंचाए और मेरे माता पिता को संदेश मिले की वर्षो पूर्व तुम्हारा खोया हुआ पुत्र जीवित है।जो तुम्हे ढूंढ रहा है।
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