छपरा। राजद सांसद प्रोफेसर मनोज कुमार झा द्वारा ‘महिला आरक्षण विधेयक'(नारी शक्ति वंदन विधेयक) पर बोलने की क्रम में ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ‘ठाकुर का कुआँ’ के पाठ में आए ‘ठाकुर’ शब्द पर जातिगत विवाद पैदा करना भाजपा के वैचारिक दिवालियापन का प्रतीक है । भाजपा वस्तुतः मणिपुर में पुनः हिंसा भड़कने और चीन द्वारा अरुणाचलप्रदेश को अपना हिस्सा बताते हुए अपने यहाँ चल रहे एशियाई खेलों में यहाँ के खिलाड़ियों को वीजा नहीं दिए जाने जैसे वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए काल्पनिक मुद्दे गढ़ रही है ।
पार्टी जिला अध्यक्ष सुनील राय के हवाले से प्रवक्ता डॉक्टर अमित रंजन ने कहा कि ‘ठाकुर का कुआँ’ कविता में ‘ठाकुर’ शब्द वस्तुतः किसी जाति विशेष का सूचक न होकर उस क्रूर सामंती व्यवस्था का प्रतीक है जिसमें मेहनतकश व्यक्ति फाकाकशी करने को विवश है वहीं तमाम संसाधन कुछ लोगों के हाथों में सिमटता जा रहा है ।
भाजपा के शासन में यह ठाकुर अडानी और अंबानी जैसे पूंजीपति हैं जिनका इस देश के जल थल और नभ के संसाधनों पर कब्जा है और आम आदमी दिन प्रतिदिन गरीब होता जा रहा है । भारत में घरेलू बचत का 50 साल के न्यूनतम स्तर पर होना इसका प्रमाण है ।
राजद प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि राजद अपने स्थापना काल से ही समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी रही है और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण इसके प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जगदानंद सिंह का होना तथा इसके चारों राष्ट्रीय प्रवक्ताओं का अलग-अलग समाज से आना है ।
उन्होंने भाजपा के महिला हितैषी होने के दावों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा यदि वास्तव में महिलाओं के हितैषी है, जैसा कि ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ (महिला आरक्षण विधेयक’) के माध्यम से वह दर्शाना चाहती है, तो वह आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी से 33% महिलाओं को टिकट दे जिसमें एससी, एसटी ओबीसी महिलाओं की भी समुचित भागीदारी हो ।
अपने पार्टी के प्रमुख पदों, आंतरिक समितियों में 33% महिलाओं को स्थान दे एवं अपने मंत्री परिषद में तत्काल बदलाव करते हुए 33% महिलाओं को मंत्री बनाए । ध्यातव्य है कि वर्तमान में केंद्र सरकार के 78 मंत्रियों में सिर्फ 11 महिला मंत्री हैं जो की 14.10% है ।
शहर के गणमान्य लोगों यथा पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर जयराम सिंह, डॉक्टर रंजीत कुमार सनेही, डॉक्टर दिनेश पाल, चंद्रावती यादव, श्री राम राय आदि ने भी भाजपा द्वारा जातिगत वैमनस्य फैलाने के उसके कुत्सित और सतही प्रयास की कड़ी निंदा की है ।
Publisher & Editor-in-Chief