अपनी परेशानी देख लोगों को फाइलेरिया से बचाव की नसीहत दे रहे हैं मोहन सिंह

छपरा
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

– दूसरों को जागरूक करने में जुटे हैं 30 सालों से फाइलेरिया से ग्रसित मोहन

छपरा | गंभीर बीमारी से ग्रसित हो चुके मरीज ही उस बीमारी के प्रकोप और उसके दर्द को समझ सकते हैं। यही कारण है कि जो लोग गंभीर और लाइलाज बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं, वो दूसरों को इस बीमारी से बचाव को लेकर हमेशा जागरूक करते हैं। ताकि जिन परेशानियों का सामना वो कर रहे हैं, उसकी चपेट में कोई दूसरा न आ सके। ऐसे ही एक मरीज हैं सारण जिले के सोनपुर प्रखंड के खरिका पंचायत के स्थानीय गांव निवासी मोहन सिंह।

जो पिछले तीस साल से फाइलेरिया से ग्रसित हैं। जवानी के समय साथ साथ उन्होंने फाइलेरिया को भी अपने जीवन में बढ़ते देखा। लेकिन, फाइलेरिया से हारने के बजाय उन्होंने उससे लड़ने की ठानी। जिसकी बदौलत न उन्होंने इस बीमारी के स्टेज को भी कम किया और आज पंचायत के लोगों को इस बीमारी से बचने और इसके इलाज को लेकर जागरूक करने में लगे हुए हैं। इसके लिए वो पंचायत में गठित खरिका पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़े और अपने अभियान में जुट गए।

दवा के सेवन से कम हुआ फाइलेरिया का ग्रेड :
मोहन सिंह बताते हैं कि लगभग 30 साल पहले उनके शरीर में फाइलेरिया के लक्षण दिखने लगे थे। तभी से उन्होंने जगह जगह इलाज कराया। जो भी जहां बताता वो इलाज के लिए वहां चले जाते। इससे उन्हें थोड़ी राहत तो मिली, लेकिन निजात नहीं मिल पायी। तकरीबन 19 साल पूर्व उन्होंने दूसरी जगह अपना इलाज कराया, जहां पर इलाज के दौरान उनके पैरों का सूजन कम होने लगा। कुछ दिनों बाद उनके पैरों का सूजन ग्रेड दो से एक पर आ गया। जिसके बाद उन्हें कभी कोई बड़ी परेशानी नहीं हुई। लेकिन, अपनी परेशानी देख उन्होंने दूसरे लोगों को इसके बारे में जागरूक करना शुरू कर दिया। वहीं, जब आशा कार्यकर्ता के माध्यम से उन्हें पता चला कि फाइलेरिया के मरीज पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं, तो वो भी उनके इस अभियान में जुड़ गए। जिससे उन्हें काफी संतुष्टि मिलती है।

आईडीए अभियान में भी निभाई महत्वपूर्ण भूमिका :
उनके वार्ड की आशा कार्यकर्ता पूनम देवी ने बताया कि मोहन सिंह पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़ने के साथ ही लोगों को जागरूक करने में जुट गए। पीएसजी की मासिक बैठक हो या फिर जागरूकता कार्यक्रम हर जगह तटस्थता से अपनी बातों को रखते हैं। तथ्यात्मक और उदाहरण के साथ लोगों के बीच रखी गई उनकी बातों के कारण लोग उनकी बातों को भी गंभीरता से लेने लगे। पूनम देवी ने बताया कि जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए गए आईडीए अभियान में भी उनकी भूमिका काफी अहम रही।

आईडीए के पूरे कार्यक्रम के दौरान जहां भी लोगों द्वारा दवा खाने से इन्कार किया गया, वहां मोहन जी स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों से साथ कंधे से कंधा मिलाकर गए। उन्होंने न केवल लोगों को दवा खाने के लिए प्रेरित किया, बल्कि उन्हें अपने आसपास के लोगों को भी दवा खाने के लिए जागरूक करने के लिए तैयार किया। जिससे पंचायत में आईडीए अभियान सफल रहा।