छपरा

सारण का अतीत गौरवशाली: डच मकबरा को पयर्टन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना घोड़ा की कागजी दौड़ में फंसा

छपरा। सारण्य से बना सारण जिला दुनिया की तमाम इबारत को अपने में समेटे है। अतीत गौरवशाली रहा है। हमारे यहां के सरकारी स्कूल के बच्चे दूसरे जगह अतीत को देखने जाते है। हमारी खुद की समृद्ध रहा हैरिटेज को शासन,सरकार निहारती तक नहीं। कई विरासत है। उपले,घास और जंगल में राज छुपा है। हर बार की तरह इस बार भी न सरकारी महकमे पर कोई कार्यक्रम न ही बच्चों को बता पाये कि हमारी विरासत इतना समृद्ध कि दुनिया में नाम है। भले सिस्टम इतनी बेपटरी जरूर है कि आज कोई नामलेवा तक नहीं।

अंबिका स्थान आमी: तीन शक्ति पीठ में एक यह भी छपरा-सारण जिला अन्तगर्त दिघवारा प्रखंड का अंबिका स्थान आमी न सिर्फ पूर्वाचल, उतर प्रदेश,उतरी व मध्य बिहार के गृहस्थ श्रद्वालुओं व भक्तों की श्रद्धा स्थली है। बल्कि वैष्णवी शक्ति उपासक व वाममार्गी कपालिक अवघूतों की साधना तथा सिद्वि की शक्तिपीठ है। मांर्कडेय पुराण में वर्णित राजा दक्ष की कर्मस्थली आमी में अवस्थित इस मंदिर का पौराणिक इतिहास रहा है। बताया जाता है कि यह स्थल प्रजापति राजा दक्ष का यज्ञ स्थल एवं राजा सूरत की तपस्या स्थली रहीं है।

छपरा मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित करिंगा इस मकबारा का बहुत ही पुरानी इतिहास है। 1770ई.यह डच के कब्जे में रहा है।करिंगा के पास एक पुराना डच सिमेट्री था।जहां डच गर्वनर जैकवस वैन हर्न की याद में एक स्मारक बनाया गया था जो समय की महत्ता को प्रमाणित करता है।18वीं सदी के शुरआत में यूरोपीय व्यापारी कंपनी के यह आकर्षण केन्द्र रहा है।
डचकालीन मकबरा को पयर्टन स्थल बनाने के लिए 1.67 करोड़ बजट बना शहर के पश्चिम छोर पर बनियापुर रोड पर करिंगा पर्यटन क्षेत्र के रुप में 2015 से ही विकसित किये जाने का कागजी घोड़ा दौड़ लगा रहा है। पत्राचार,जांच और बजट सब कोरम पूरा भी हुआ। भास्कर द्वारा 2021 में इसके इतिहास को छापने के बाद तत्कालीन डीएम डॉ. निलेश चन्द्र देवड़े राजदूत के माध्यम से पत्राचार भी किये। इसके लिए 2016 में ही पर्यटन विभाग ने मंजूरी दे दी है। इसमें एक करोड़ 67 लाख 14 हजार दो सौ रुपये स्वीकृत भी हो चुका था। अधिकारियों की टीम ने जांच भी कर ली थी। लेकिन वहीं नाफरमानी। सरकारी सिस्टम की चाल। लिहाजा फाइल यथावत है।

News Desk

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