Salary increase: बिहार में नीतीश सरकार का बड़ा ऐलान, रसोइयां-रात्रि प्रहरियों और अनुदेशकों के मानदेय में दोगुनी वृद्धि
2005 के बाद से शिक्षा बजट में 17 गुना से अधिक की बढ़ोतरी

पटना। बिहार सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को सशक्त और समावेशी बनाने के अपने सतत प्रयासों के तहत एक और बड़ा कदम उठाया है। शिक्षा व्यवस्था में सहयोगी कर्मियों की वर्षों पुरानी मांग को मानते हुए राज्य सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना में कार्यरत रसोइयों, विद्यालयों में नियुक्त रात्रि प्रहरियों और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय में दोगुनी वृद्धि करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी सूचना के अनुसार, वर्ष 2005 में जब वर्तमान सरकार सत्ता में आई थी, तब शिक्षा बजट ₹4,366 करोड़ था। आज यह बढ़कर ₹77,690 करोड़ हो गया है, जो यह दर्शाता है कि राज्य सरकार ने शिक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल किया है। शिक्षकों की नियुक्ति, विद्यालय भवनों का निर्माण और आधारभूत संरचना के विकास के साथ-साथ अब सरकार सहायक कर्मियों के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण पर भी गंभीरता से ध्यान दे रही है।
मानदेय वृद्धि का विवरण:
मध्याह्न भोजन योजना के रसोइया:
पुराना मानदेय – ₹1,650 प्रति माह
नया मानदेय – ₹3,300 प्रति माह
माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालयों के रात्रि प्रहरी:
पुराना मानदेय – ₹5,000 प्रति माह
नया मानदेय – ₹10,000 प्रति माह
शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक:
पुराना मानदेय – ₹8,000 प्रति माह
नया मानदेय – ₹16,000 प्रति माह
साथ ही वार्षिक वेतन वृद्धि – ₹200 से बढ़ाकर ₹400 कर दी गई है।
सुधार का उद्देश्य और अपेक्षित परिणाम
सरकार का मानना है कि शिक्षा तंत्र के हर स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों की सम्मानजनक भागीदारी और मनोबल आवश्यक है। यह निर्णय केवल वेतन वृद्धि नहीं है, बल्कि उन हजारों कर्मियों के परिश्रम और योगदान को संस्थागत मान्यता देने का प्रयास है, जो शिक्षा व्यवस्था को आधार प्रदान करते हैं।
राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस निर्णय से इन कर्मियों के मनोबल में वृद्धि होगी और वे अधिक उत्साह, आत्मसम्मान और लगन से अपने कार्यों का निर्वहन करेंगे, जिससे अंततः छात्रों को लाभ पहुंचेगा।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
शिक्षा विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में यह एक “ह्यूमन-सेंट्रिक रिफॉर्म” है, जो स्कूल स्तर पर बदलाव लाने में प्रभावी सिद्ध होगा। वहीं कर्मचारी संगठनों ने भी सरकार के इस फैसले को सराहते हुए इसे “देर से सही, पर सकारात्मक कदम” बताया है।
बिहार सरकार का यह फैसला शिक्षा के सहायक कर्मचारियों को सम्मान और सुरक्षा देने की दिशा में मील का पत्थर है। इससे न केवल कार्यरत कर्मियों को आर्थिक सहारा मिलेगा, बल्कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था और अधिक मजबूत तथा भरोसेमंद बनकर उभरेगी।