

सीवान। पूर्वोत्तर रेलवे के दारौंदा-मसरख खंड पर स्थित महराजगंज स्टेशन पर गुड्स शेड निर्माण कार्य तेजी से जारी है। रेलवे सूत्रों के अनुसार यह कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके पूरा होने के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों के व्यापार और मालवाहन परिवहन को नई गति मिलेगी।
आधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा गुड्स शेड
रेलवे की योजना के तहत महराजगंज में 700 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा हैंडलिंग प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है। साथ ही लगभग 10 मीटर चौड़ा एप्रोच रोड भी प्रदान किया जाएगा, जिससे इनबाउंड और आउटबाउंड दोनों प्रकार के हैंडलिंग कार्य आसानी से हो सकें।
इस साइडिंग में डायरेक्ट रीसिविंग और डिस्पैच की सुविधा भी उपलब्ध होगी। इसके अलावा, यहां पर हाई मास्ट लाइटिंग, टॉयलेट, स्नानागार, श्रमिक शेल्टर, कंप्यूटराइज्ड टीपीएमएस सिस्टम, और अन्य वाणिज्यिक आवश्यकताओं से जुड़ी सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।
सीमावर्ती क्षेत्रों को मिलेगा सीधा लाभ
सीवान जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में थोक माल के आवागमन के लिए अब तक समुचित रेल ढांचा उपलब्ध नहीं था। लेकिन इस गुड्स शेड के बनने के बाद रेल द्वारा कोयला, सीमेंट, उर्वरक, खाद्यान्न, फल, फर्नीचर, स्क्रैप और अन्य व्यापारिक सामग्री का परिवहन संभव होगा।
रेल प्रशासन के अनुसार इससे न केवल माल ढुलाई सुगमता से हो सकेगी, बल्कि क्षेत्रीय व्यापारिक गतिविधियों को गति और विस्तार भी मिलेगा।
व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों को मिलेगा सीधा लाभ
गुड्स शेड बनने से क्षेत्रीय व्यापारियों को रेलवे के माध्यम से सस्ती और सुरक्षित माल ढुलाई सुविधा मिलेगी। इससे परिवहन लागत में कमी आएगी और प्रतिस्पर्धी दरों पर सामान बाजार में लाना संभव होगा।
रेलवे के अधिकारी के अनुसार, यह साइडिंग महराजगंज को माल हैंडलिंग के लिए एक प्रमुख केंद्र में बदल देगी, जिससे स्थानीय रोजगार सृजन, व्यापार विस्तार और परिवहन के क्षेत्र में दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित होगा।
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मुख्य बिंदु:
- गुड्स शेड निर्माण दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य
- 700 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा प्लेटफॉर्म
- इनबाउंड-आउटबाउंड दोनों दिशा में हैंडलिंग की सुविधा
- रीसिविंग और डिस्पैच की डायरेक्ट रेल व्यवस्था
- श्रमिकों के लिए शेल्टर, स्नानागार, टॉयलेट, हाई मास्ट लाइटिंग
- सीवान व सीमावर्ती इलाकों में व्यापार और रोजगार को बढ़ावा
यह परियोजना न केवल रेलवे की वाणिज्यिक दक्षता को बढ़ाएगी, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी सहायक सिद्ध होगी।