छपरा। छपरा समेत तमाम शहरों में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। हर साल यह समस्या सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा होती है। बढ़ते प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, खांसी, सांस फूलने आदि की समस्या होती है। छपरा शहर के श्यामचक स्थित संजीवनी नर्सिंग होम एवं मेटरनिटी सेंटर के संस्थापक व प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ अनिल कुमार ने बतया कि प्रदूषण बढ़ने के कारण आस्थमा के मरीजों की परेशानी और बढ़ जाती है। अगर प्रदूषण के बीच इनका ध्यान नहीं रखा जाए, तो अस्थमा का अटैक भी आ सकता है अस्थमा के मरीज कैसे अपनी सेहत का ख्याल रखें।
प्रदूषण में अस्थमा के मरीज इस तरह रखें अपना ख्याल
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डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि अगर आप कहीं बाहर घूमने जा रहे हैं या ट्रैवल कर रहे हैं, तो अपना इन्हेलर साथ रखें। एक ही बार में बहुत ज्यादा खाना न खाएं। 2-3 घंटे के अंतराल के पर हेल्दी चीजें खाने की कोशिश करें। बहुत अधिक तले हुए खाद्य पदार्थ खाने से बचें। दरअसल, ऑयली फूड्स खाने से गले की खराश बढ़ सकती है, जिससे आपको घुटन भी महसूस होगी।
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अगर आप अस्थमा के मरीज हैं, तो रोजाना रात में सोने से पहले एक कप गर्म पानी पिएं, जिससे पाचन में सहायता मिलता है और श्वसन तंत्र से भी टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकलते हैं। आप अपनी डाइट में हल्दी वाला दूध भी शामिल कर सकते हैं, इसे रोजाना रात में पिएं। इसे पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा शरीर के टॉक्सिक पदार्थ भी बाहर निकलते हैं। प्रदूषण से बचने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट एक गिलास गर्म पानी पी सकते हैं । चाहें तो आप गरारे भी कर सकते हैं, इससे भी अस्थमा के मरीजों को फायदा मिलेगा। ऐसी जगहों पर न जाएं, जहां ज्यादा प्रदूषण हो।
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बच्चे और बुजुर्ग पर ज्यादा प्रभाव
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डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि प्रदूषित वातावरण का असर बच्चों और बड़ी उम्र के लोगों पर ज्यादा पड़ता है। इनकी इम्यूनिटी पावर कम होने और फेफड़े छोटे होने के कारण संक्रमण बढ़ने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए बच्चों और बड़ों को ज्यादा से ज्यादा समय घर के अंदर ही रहना चाहिए।
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Publisher & Editor-in-Chief