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अब मुस्कुराएंगे विकृत चेहरे- कटे होंठ-तालु और टेढ़े पैर वाले बच्चों का होगा निशुल्क इलाज

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से बच्चों की जिंदगी में आएगा बदलाव

छपरा। गरीबी और लाचारी के कारण जिन बच्चों का चेहरा या शरीर जन्म से विकृत है, अब उनके जीवन में मुस्कान लौटाने की पहल शुरू हो गई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के अंतर्गत ऐसे बच्चों का निःशुल्क इलाज और ऑपरेशन कराया जाएगा। कटे होंठ-तालु, नाक कटा, जीभ चिपकी, पैरों में टेढ़ापन (क्लब फुट) और पेशाब की नली में गड़बड़ी जैसी जन्मजात बीमारियों से जूझ रहे बच्चों का उपचार रक्सौल स्थित डंकन अस्पताल में 16 से 21 नवंबर तक किया जाएगा।

इस शिविर में मरीजों के इलाज, शल्य चिकित्सा, रहने और खाने की सारी सुविधा बिहार सरकार द्वारा पूर्णतः मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी। किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। सिविल सर्जन ने जिलेवासियों से अपील की है कि यदि उनके परिवार या आसपास किसी भी बच्चे में इस प्रकार की समस्या हो, तो वे निकटतम स्वास्थ्य केंद्र या RBSK टीम से संपर्क करें, ताकि बच्चे को समय रहते इलाज मिल सके।

18 वर्ष तक के बच्चों को मिलती है मुफ्त चिकित्सा सुविधा

सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों का तीन दर्जन से अधिक जन्मजात रोगों का इलाज राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क कराया जाता है। इनमें शामिल हैं।

  •  तांत्रिक ट्यूब दोष (दिमाग, स्पाइनल कॉर्ड, रीढ़ की विकृति)
  •  डाउन सिंड्रोम (बुद्धि विकास में कमी)
  • कटे होंठ और तालु
  • क्लब फुट (टेढ़े पैर)
  • जन्मजात मोतियाबिंद, बहरापन, हृदय रोग
  • नेत्र विकार और सिर की असामान्य वृद्धि जैसी बीमारियां

योजना बनी गरीब परिवारों के लिए वरदान

आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि इस योजना के तहत अब तक जिले में तालु, क्लब फुट और हृदय रोग से पीड़ित कई बच्चों का सफल ऑपरेशन कराया जा चुका है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम गरीब परिवारों के लिए एक जीवनदायिनी योजना साबित हो रही है। जिला स्वास्थ्य समिति लगातार प्रयासरत है कि कोई भी बच्चा जन्मजात बीमारी से पीड़ित होकर जीवन से हार न मान सके। उन्होंने कहा कि तालु, हृदय रोग और क्लब फुट जैसी जन्मजात बीमारियों से ग्रसित कई बच्चों का ऑपरेशन अब तक सफलतापूर्वक कराया जा चुका है। उन्होंने बताया कि आरबीएसके की टीम नियमित रूप से विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों, और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर बच्चों की स्क्रीनिंग करती है, ताकि बीमारी का जल्द पता चल सके और समय पर इलाज मिल सके।

सरकार की पहल से लौट रही उम्मीद

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं, बल्कि बचपन को स्वस्थ और समाज को संवेदनशील बनाना है। जिन बच्चों के चेहरे अब तक विकृतियों के कारण मुस्कान से वंचित थे, उनके चेहरों पर अब नई रोशनी लौट रही है। सरकार की इस पहल ने न केवल गरीब माता-पिता के बोझ को कम किया है, बल्कि उन मासूमों को भी समाज में एक नई पहचान दी है।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

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