संजीवनी नर्सिंग होम में मरीज को मिट्टी के दीया देकर परंपरा को जीवित रखने का दिलाया संकल्प
छपरा : मिट्टी के दीये जलाएं, प्रदूषण को दूर भगाएं और परंपरा जीवंत बनाएं। उक्त बाते शहर के श्यामचक स्थित संजीवनी नर्सिंग होम में दीपावली एवं छठ पूजा के पूर्व मरीजों एवं आस पास के लोगों के बीच मिट्टी के दीये वितरण करते हुए प्रसिद्ध चिकित्सक लायंस डॉ अनिल कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि आज की भागती दौड़ती जि़न्दगी में लोग अपनी परंपरा को भूलते जा रहे हैं। इसका परिणाम है कि आज देश में पर्यावरण संकट के साथ-साथ कई तरह की समस्या उत्पन्न हो रही है। जिसके चलते सभी लोग और जीव-जंतु के जीवन पर संकट है। इस परंपरा में एक दीपावली पर्व पर मिट्टी के दीये जलाना भी है। जिसको आज लोग भूलते जा रहे हैं और उसकी जगह पर इलेक्ट्रानिक लाइटों का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन जो सुंदरता मिट्टी के दीये जलने पर दिखती है वह इलेक्ट्रानिक लाइटों के जलने से नहीं। लेकिन लोग अपनी परंपरा को भूलते जा रहे है। मिट्टी के दीये जलाना परंपरा के साथ हमारी संस्कृति है। अपनी संस्कृति को कोई कैसे भूल सकता है। इसी उदेश्य से लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए मेरे संस्थान में जो भी मरीज आ रहे है उनलोगों को मिट्टी के दिये देकर यह बताया जा रहा है कि इस दीपावली में मिट्टी के ही दिये जलाना है। डॉ अनिल ने कहा कि यह कार्य मै कई वर्षो से करते आ रहा हूँ बस मेरा उद्देश्य यह है कि लोग इसके प्रति जागरूक हो और अपने परंपरा को जीवित रखे।
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति और परंपरा का निर्वहन करना युवाओं के कंधे पर ही है। गाँव या किसी शहर में जो कुम्हार है वह आज भी मिट्टी के दीये बनाते हैं। इसमें उन्हें सिर्फ आमदनी का लालच नहीं होता बल्कि उनमें अपनी संस्कृति और परंपरा को बरकरार रखने का उत्साह होता है, लेकिन लोग इसे भूलते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मिट्टी के दीये हमारी संस्कृति के एक अहम अंग हैं। दिवाली पर इसे जला कर हम अपनी परंपराओं को याद रखते हैं। मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों को प्रोत्साहित करने का भी यह अच्छा मौका है। लोगों को उन्होंने संकल्प दिलाते हुए कहा कि आइये, इस दीपावली, हम सभी मिलकर मिट्टी के दीये जलाएँ और एक स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण बनाने में अपना योगदान बनाए।इस मौके पर रीता कुमारी, स्वेता सिंह, रोहित कुमार, दसरथ राय, लक्ष्मण यादव, शैलेश कुमार यादव, समेत सभी स्टॉफ मौजूद थे।
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