सारण में सबसे अधिक टीबी मरीजों को डॉ अंजू सिंह ने लिया गोद

छपरा
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– इलाज पूरा होने तक उन्होंने देखरेख का उठाया जिम्मा
• ठाकुरबाड़ी महिला विकास कल्याण समिति के तहत 21 मरीजों को लिया गया गोद
• झुग्गी बस्तियों में जाकर टीबी के प्रति करती हैं लोगों को जागरूक

छपरा,28 अप्रैल । टीबी की बीमारी एक वक्‍त खतरनाक मानी जाती थी। अब इसका इलाज आसानी से हो रहा है। खास बात यह है कि सरकारी अस्‍पतालों में इस बीमारी का इलाज पूरी तरह मुफ्त में होता और दवा भी फ्री में ही दी जाती है। देश में टीबी उन्मूलन के लिए वर्ष 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसको लेकर प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की गई है। इस अभियान के तहत टीबी के मरीजों को गोद लेने के लिए अपील की जा रही है। छपरा शहर के साधनापुरी निवासी डॉ अंजू सिंह ने जिले में सबसे अधिक मरीजों को गोद लेने का रिकॉर्ड बनाया है।

ठाकुरबाड़ी महिला विकास कल्याण समिति संस्था के द्वारा 21 मरीजों को गोद लिया गया है। डॉ अंजू सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में वह पिछले कई वर्षों से टीबी उन्मूलन अभियान में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित कर रही और सरकार को सहयोग कर रही हैं । उत्तर प्रदेश में 300 से अधिक मरीजों को गोद लेकर उनका उपचार तथा खानपान की व्यवस्था को सुनिश्चित कर रही हैं । डॉ अंजू सिंह जब छपरा आई तो उन्हें पता चला कि सारण जिले में निक्षय मित्र के तहत अब तक किसी ने भी टीबी के मरीज को गोद नहीं लिया है। इस पर पहल करते हुए उन्होंने सबसे पहले टीबी के मरीजों को गोद लेने की शुरुआत की। 8 जनवरी से अब तक 21 टीबी के मरीजों को गोद लेकर उनके पोषण तथा दवा व इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कर रही हैं । गोद लिए गए टीबी के मरीजों को प्रत्येक माह फूड बास्केट का वितरण किया जाता है।

झुग्गी- झोपड़ियों में गुजर-बसर करने वाले लोगों को करती हैं जागरूक:

ठाकुरबाड़ी महिला विकास कल्याण समिति संस्था की सचिव डॉ अंजू सिंह ने बताया कि सारण जिले में यक्ष्मा को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव है। समाज में जागरूकता की आवश्यकता है। जागरूकता के उद्देश्य से समय-समय पर झुग्गी झोपड़ी और दलित बस्तियों में लोगों को जागरूक करने के लिए कैंप का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य शिविर भी लगाया जाता है ताकि लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जा सके। उन्होंने कहा कि देश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान चलाया गया है। इस अभियान को जन आंदोलन बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में निक्षय मित्र योजना से टीबी के खिलाफ जनभागीदारी सुनिश्चित करके अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि एक हजार रुपये तक की राशि के फूड बास्केट में टीबी मरीजों के लिए आटा, दाल, खाद्य तेल, चना, बादाम, अंडा, सोयाबीन, आदि शामिल किया गया है। इन टीबी मरीजों को यह फूड बास्केट अगले छह माह तक दिये जायेंगे।

गोद लेने की यह पहल भारत को टीबी मुक्त करने में बड़ा योगदान देगी:

डॉ अंजू सिंह ने बताया कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच से लेकर इलाज और दवा सब मुफ्त मिलती है। दो हफ्ते से अधिक खांसी, लगातार बुखार होना और वजन गिरना टीबी रोग के लक्षण हैं । ऐसे लक्षण होने से तत्काल जांच करा लें। अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में या शहरी क्षेत्रों में भी लापरवाही की वजह से टीबी के मरीज बीच में ही अपना इलाज छोड़ देते हैं। टीबी के वायरस कई प्रकार के होते हैं, ऐसे में इनके इलाज और दवा की भी अवधि अलग होती है। व्यक्ति के खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है, जिससे उसके अंदर संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े।इलाज पूरा न होने और दवा सही समय पर न खाने से मरीज के अंदर का टीबी बैक्टीरिया खत्म नहीं होता और दूसरे भी संपर्क में आकर संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में सरकार की गोद लेने की यह पहल भारत को टीबी मुक्त करने में बड़ा योगदान देगी।