छपरा

Chhapra News: चार साल बाद घर लौटा भटके हुए मनोज, सेवा कुटीर बनी जीवन की नई राह

टूट चुके थे, बिखर चुके थे... सेवा कुटीर ने फिर से जोड़ा परिवार से नाता

छपरा। मनोज गिरी, जो कभी जीवन की व्यस्त धारा में बहते हुए पिता के साथ जजमानिका जैसे पारंपरिक और गरिमामयी कार्यों में संलग्न थे, समय की कठोर लहरों में खुद को धीरे-धीरे खोते चले गए। माता-पिता के देहावसान और वैवाहिक जीवन में मिली पीड़ा ने उन्हें ऐसा मानसिक आघात दिया कि वे जीवन से ही कटते चले गए।

Bihar Railway Network Project: छपरा-आरा रेल पुल समेत 6 रेल परियोजना प्रस्तावित, नया रेल लाइन का होगा निर्माण

छपरा में भीख मांगते सड़क किनारे मिले थे

4 जुलाई 2024 को छपरा बायपास के किनारे जब मनोज गिरी को भिक्षावृत्ति की स्थिति में पाया गया, तो शायद किसी को अंदाजा नहीं था कि उनके भीतर कितनी टूटन और कितनी कहानियाँ दबी पड़ी हैं। सेवा कुटीर के फील्ड कोऑर्डिनेटर और केयरटेकर की संवेदनशील पहल से उन्हें आश्रय मिला – न सिर्फ तन के लिए, बल्कि मन और आत्मा के लिए भी। मनोज गिरी (कार्तिक गिरी) पिता प्रसाद गिरी ग्राम+पोस्ट–पानापुर अख्तियारपुर थाना –करजा जिला –मुजफ्फरपुर के स्थाई निवासी हैं।

advertisement

Railway News: चलती ट्रेन में जब मां ने मांगी मदद, तो रेलवे ने निभाया अपना फर्ज

सेवा कुटीर में उन्हें स्नान, वस्त्र, भोजन और सबसे महत्वपूर्ण – सम्मान मिला। इलाज के साथ धीरे-धीरे मानसिक स्थिति में सुधार हुआ, और जब भरोसे की परतें खुलीं, तो उन्होंने अपनी जीवनकथा सुनाई – दुखों, संघर्षों और अकेलेपन से भरी एक मार्मिक यात्रा।

माता-पिता के मौत के बाद पत्नी ने भी छोड़ा साथ

मनोज गिरी के तीन और भाई और एक बहन है। पहले पिताजी के साथ ब्राह्मण होने के नाते जजमानिका का कार्य करते थे। 2014 में पिताजी और माता जी के गुजर जाने के बाद शादी हुई । लेकिन पत्नी ज्यादा दिनों तक साथ में नहीं रह पाई। इन्हें छोड़कर चली गई। इससे मनोज गिरी मानसिक दबाव के कारण मानसिक अवसाद से ग्रसित हो गए। उसके बाद से यह कुछ दिन घर पर रहते थे फिर कुछ दिन के लिए कहीं गायब हो जाते थे। ऐसे कुछ वर्षों तक चला। लेकिन पिछले लगभग 4 वर्ष से वह घर वापस नहीं गए। लेकिन सेवा कुटीर के क्षेत्र समन्वयक के द्वारा लगातार उनके परिजन के खोजबीन जारी रही और अंत में उनके छोटे भाई संतोष गिरी से संपर्क हुआ। अपने भाई को संतोष गिरी खुशीपूर्वक अपने घर ले जा रहे हैं ।

छपरा में विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस बस स्टैंड के निर्माण की प्रक्रिया शुरू, 19.72 करोड़ की लागत से बनेगा अत्याधुनिक टर्मिनल

खुशी की आँसुओं के साथ वापस अपने घर ले गया भाई

लगभग 4 वर्षों तक अपने घर और अपनों से दूर रहने वाले मनोज गिरी को सेवा कुटीर के प्रयासों से उनके छोटे भाई संतोष गिरी से फिर जोड़ा गया। आज संतोष उन्हें हर्ष और आँसुओं के साथ वापस अपने घर ले जा रहे हैं। यह सिर्फ एक पुनर्मिलन नहीं, बल्कि संवेदना, सेवा और संकल्प की मिसाल है – जो बताता है कि अगर सही समय पर कोई हाथ थाम ले, तो खोई हुई ज़िंदगियाँ भी फिर से संवर सकती हैं।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

Related Articles

Back to top button
close