पटना। अगर इंसान के अंदर दृढ़ इच्छाशक्ति , पूर्ण समर्पण और कठिन परिश्रम का भाव हो तो वो ज़मीन से उठकर भी आसमान छू सकता हैं और इसे साबित कर दिखाया है। पटना के बुद्धा कॉलोनी की रहने वाली प्रांजलि प्रकाश ने जिन्होंने एक साथ दो राज्यों की प्रतिष्ठित न्यायिक सेवा प्रतियोगी परीक्षाओं में अप्रतिम सफलता प्राप्त कर अपने घर परिवार का नाम रौशन कर दिया है |
प्रांजलि ने अपने पहले ही प्रयास में ही स्व-अध्ययन से दिल्ली न्यायिक सेवा जैसी कठिन परीक्षा में अपनी मेधा और विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते हुए 35 वाँ स्थान हासिल किया | इसके कुछ महीनों पहले ही प्रांजलि ने 31 वी बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में भी अपने प्रथम प्रयास में अपनी लगनशीलता से प्रभावित करते हुए उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 22 वाँ स्थान प्राप्त किया था |
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प्रांजलि के अनुसार उनकी इस सफलता में पीछें उनके माता- पिता का बहुत बड़ा योगदान है | उन्होंने बताया कि पिता का कार्य के प्रति समर्पण और न्यायिक निपुणता जैसे गुणों का बचपन से ही प्रांजलि के अंतर्मन पर गहरा प्रभाव पड़ा और न्यायाधीश बनने की नैसर्गिक रुचि उनके अंदर जागृत हुई| उन्होंने बताया कि तैयारी का समय काफ़ी उतार चढ़ाव भरा रहा, इस दौरान कोविड जैसी महामारी की वजह से परीक्षा की तिथियाँ भी कई बार प्रभावित हुई एवं परिवार के सदस्य भी उस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित रहें |
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प्रांजलि की दिली इच्छा समाज के वंचित वर्ग और ख़ासकर पीड़ित माहिलाओं को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करते हुए न्याय की सत्ता में लोगों के विश्वास को और सुदृढ़ करना हैं |
प्रांजलि की इस अतुलनीय उपलब्धि से घर परिवार में ख़ुशी का माहौल हैं | प्रांजलि के पिता ओम प्रकाश श्रीवास्तव जो स्वयं अपर ज़िला न्यायाधीश के पद पर कार्यरत् रह चुके है ने बताया कि प्रांजलि अपने स्कूल के दिनों से ही पढ़ाई लिखाई में काफ़ी मेधावी रही है और हमेशा से वाद-विवाद और पाठ्यक्रमेतर क्रियाकलापों में अग्रणी रही हैं|
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उन्होंने कहा कि प्रांजलि की इस उत्कृष्ट उपलब्धि पर वह काफ़ी गौरवन्वित महसूस कर रहे हैं| माता इतु प्रकाश भी अपनी पुत्री की सफलता से भावविभोर है और उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है | बड़े भाई और बहन के कहा कि ये परिणाम प्रांजलि के कठोर परिश्रम और लक्ष्य के प्रति समर्पित होने का पारितोषिक है |
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प्रांजलि की यह उपलब्धि ना सिर्फ़ न्यायिक सेवा की तैयारी में लगे अभ्यर्थियों के लिए प्रथम प्रयास में बिना कोचिंग के सफल होने की वजह से अनुकरणीय हैं बल्कि समाज की उन महिलाओं को भी प्रेरणा देती है जो अपने जीवन में बड़े इरादों के साथ एक सकारात्मक बदलाव लाने का साहस रखतीं है |
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Publisher & Editor-in-Chief