

बिहार डेस्क। बिहार सरकार के पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अनुसूचित जाति वर्ग के मछुआरों को लक्षित करते हुए एक महत्वाकांक्षी योजना “पूरक योजना” की शुरुआत की गई है। इस योजना का उद्देश्य पठारी क्षेत्रों में तालाब निर्माण और मछली पालन को बढ़ावा देना है ताकि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को रोजगार और आय का स्थायी स्रोत मिल सके।
योजना का उद्देश्य
इस योजना के तहत राज्य के पठारी बहुल जिलों जैसे बांका, औरंगाबाद, गया, कैमूर, नवादा, जमुई, मुंगेर और रोहतास में तालाब निर्माण और उससे संबंधित इकाइयों का अधिष्ठापन कर मछली पालन को बढ़ावा देना मुख्य लक्ष्य है।
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योजना का क्रियान्वयन
- केवल अनुसूचित जाति के मत्स्य कृषकों के लिए है योजना।
- लाभुकों को अधिकतम 1 एकड़ तक के जल क्षेत्र में तालाब निर्माण हेतु पांच अवयवों पर आधारित पैकेज इकाई का लाभ मिलेगा।
- न्यूनतम 0.4 एकड़ के जल क्षेत्र वाले लाभुक भी पात्र हैं।
- तालाब निर्माण, ट्यूबवेल, सोलर पंप, उच्च गुणवत्ता के बीज और शेड निर्माण इस योजना के तहत शामिल हैं।
💰 अनुदान का स्वरूप
- लाभुकों को संबंधित इकाई की लागत पर 80% तक अनुदान दिया जाएगा।
- एक एकड़ जल क्षेत्र पर अधिकतम ₹16.70 लाख तक की सहायता राशि अनुमन्य होगी।
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लाभार्थियों का चयन एवं शर्तें
- लाभार्थी के पास स्वामित्व या लीज पर भूमि होना अनिवार्य है।
- लीज के लिए कम से कम 9 वर्षों का निबंधित एग्रीमेंट और ₹1000 के स्टांप पर आवेदन आवश्यक।
- आवेदन के साथ स्वामित्व प्रमाणपत्र / जाति प्रमाणपत्र / आधार / बैंक पासबुक आदि संलग्न करना होगा।
- चयन मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में बनी जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा।
आवेदन की अंतिम तिथि
- ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2025 निर्धारित की गई है।
- योजना की विस्तृत जानकारी के लिए अपने प्रखंड कार्यालय या जिले के मत्स्य संसाधन पदाधिकारी से संपर्क करें।
- ऑनलाइन आवेदन https://state.bihar.gov.in/ahd/CitizenHome.html पर किया जा सकता है।
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महत्वपूर्ण दस्तावेज (आवेदन हेतु आवश्यक)
- आधार कार्ड
- जाति प्रमाण पत्र
- जमीन का कागज / लीज एग्रीमेंट
- बैंक पासबुक की प्रति
- पासपोर्ट साइज फोटो
- मोबाइल नंबर
यह योजना मछलीपालन को बढ़ावा देने के साथ-साथ अनुसूचित जाति वर्ग के लाभुकों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। इससे बेरोजगार युवाओं, किसानों और ग्रामीणों को मछली पालन के क्षेत्र में स्थायी रोजगार मिलेगा और राज्य की मत्स्य उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी। |
