कालाजार उन्मूलन के लिए सामुदायिक स्तर पर जागरूकता आवश्यक: सिविल सर्जन

छपरा स्वास्थ्य
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• 31 दिसंबर को कालाजार मुक्त घोषित होगा सारण जिला

• कालाजार के मरीजों को एचआईवी जांच कराना जरूरी
• डब्ल्यूएचओ के सहयोग से एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

छपरा । कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता में सामुदायिक स्तर पर कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका बहुत कारगर है। सामाजिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर कालाजार सहित वेक्टर बॉर्न अन्य डिजीज के प्रति ग्रामीणों के बीच जागरूकता लाना जरूरी है। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने शहर के एक निजी होटल में आयोजित कार्यशाला के दौरान कही। सिविल सर्जन ने कहा कि हमने कालाजार बीमारी को शुरुआती दौर से देखा है। आज गौरव की बात है कि इसका उन्मूलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कालाजार उन्मूलन को सफल बनाने के लिए आशा के द्वारा लोगों को जागरूक करते रहना चाहिए। सिविल सर्जन ने कहा कि 31 दिसंबर तक सारण जिले को कालाजार से मुक्त घोषित किया जायेगा। कालाजार उन्मूलन में सभी की सहभागिता महत्वपूर्ण रही है। कार्यशाला में जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों और मेडिकल ऑफिसर तथा एएनएम और जीएनएम को विश्व स्वास्थ्य संगठन की जोनल कोर्डिनेटर डॉ. माधुरी के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें कालाजार मरीजों की पहचान, उपचार तथा जांच के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, एसीएमओ डॉ. एचसी प्रसाद, डीएस डॉ. एसडी सिंह, डीआईओ डॉ. चंदेश्वर सिंह, डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ के राज्य समन्वयक डॉ. राजेश पांडेय, क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. माधुरी व केयर इंडिया, पीसीआई, सीफार के जिला प्रतिनिधि मौजूद थे।

कालाजार बीमारी के उपचार में व्यक्तिगत एवं सामुदायिक भागीदारी महत्वपूर्ण-

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि कालाजार (काला-अजार) एक प्रकार से सामुदायिक स्तर की समस्या है और इसके उपचार में व्यक्तिगत और सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य यही है कि समुदाय के बीच कार्य करने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं स्वास्थ्य कर्मी सामुदायिक स्तर पर ग्रामीणों को कालाजार बीमारी के लक्षण, उससे बचने के उपाय के साथ ही सावधानी बरतने के लिए जागरूकता अभियान चलाएंगे। बरसात के दिनों में कुछ सावधानी बरतकर कालाजार जैसी बीमारी से बचाव किया जा सकता है। क्षेत्र में छिड़काव के लिए जाने वाली टीम का सहयोग कर प्रत्येक घर में छिड़काव कराने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने बताया कि कालाजार वीएल के मरीजों को एचआईवी की जांच कराना आवश्यक है। जिले में फिलहाल चार ऐसे मरीज हैं जो एचआईवी से पीड़ित हैं । उनका उपचार चल रहा है।

कालाजार को जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को निष्ठावान बनकर कार्य करने की आवश्यकता=

डब्ल्यूएचओ के मुजफ्फरपुर की क्षेत्रीय समन्वयक डॉ माधुरी ने कहा कि कालाजार रोग की जांच एवं उपचार को लेकर जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कालाजार उन्मूलन के तहत शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य स्तर पर विशेष रूप से सघन कार्य योजना- 2022 बनायी गयी है। इसके तहत स्थानीय ज़िले के चिकित्सा पदाधिकारियों, जीएनएम एवं एएनएम को प्रशिक्षित किया जा रहा है। कालाजार को जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को निष्ठावान बनकर कार्य करने की आवश्यकता है। ज़िले के कुछ ही प्रखंडों में कालाजार के मरीज शेष बचे हुए हैं, इसका भी सफाया हो जाएगा। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लोगों को मच्छरदानी का नियमित उपयोग करने एवं अपने घर के आसपास गड्ढों या नालों में बरसात या चापाकल के पानी की निकासी करने के लिए जागरूक करें ताकि कालाजार के मच्छरों की संख्या नहीं बढ़े।

मरीजों की सर्विलांस जरूरी:
डब्ल्यूएचओ के राज्य प्रतिनिधि डॉ. राजेश पांडेय ने कहा कि कालाजार के मरीजों की सर्विलांस जरूरी है। कालाजार के मरीज के ठीक होने के छह माह बाद भी मौत होती है तो इसकी जांच करनी आवश्यक है कि आखिर किस कारण से उसकी मृत्यु हुई है।

कालाजार के मुख्य लक्षण:
• दो या दो सप्ताह से अधिक दिनों तक बुख़ार लगना।
• वजन कम होना।
• पैर, पेट, चेहरे और हाथ की त्वचा का रंग हल्का हो जाना।
• इस बीमारी में भूख न लगना, पीलापन और वजन घटने के कारण कमज़ोरी आती है ।
• खून की कमी।
• अक्सर तिल्ली और क़भी-क़भी लिवर बढ़ जाने के कारण पेट फूल जाता है ।
• अगर समय रहते इसका इलाज़ नहीं किया गया तो मरीज की जान जा सकती है। कालाजार को अक्सर लोग मलेरिया, टायफाइड या तपेदिक समझने की भूल कर बैठते हैं।