पुलिस के गज़ब का कारनामा चार्जशीट दाखिल करने में लग गए 20 साल

क्राइम

जमशेदपुर। क़रीब बीस साल पुराने मामले में पर्यावरण प्रेमी सह चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सैयद अरशद नसर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी जमशेदपुर निशांत कुमार के न्यायालय में बिस्टुपुर थाना कांड संख्या – 150/2003 जीआर नंबर -1328/2003 में गुरूवार को सरेंडर कर जमानत के लिए अपने विद्वान अधिवक्ता बलराम के माध्यम से याचिका दायर किया.जिसपर सुनवाई के पश्चात सीजीएम ने अरशद को जमानत प्रदान कर दिया.जिससे इनके समर्थकों में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी.जमानत मिलने पर अरशद के समर्थकों ने इन्हें फुल माला से लाद दिया.सीजीएम ने इन्हें जमानत प्रदान करने के साथ ही साथ इनपर आरोप भी गठित करते हुए इस मामले की अगली सुनवाई तिथि 17 अगस्त निर्धारित की है.

अरशद ने बताया कि क़रीब बीस वर्ष पुर्व भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के चलते पुलिस से सांठ-गांठ कर जमशेदपुर ज़िला खनन कार्यालय के तत्कालीन ख़ान निरीक्षक निरंजन कुमार जो वर्तमान में भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी में रघुवर सरकार के समय में जेल जाने के बाद से आज तक निलंबित हैं रंगदारी का झुठा केस बिस्टुपुर थाना में मुझ पर दर्ज कराया था.

जिसमें क़रीब बीस साल के बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया.इधर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा की बीस साल के बाद चार्जशीट दाखिल करना पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करता है.जिसको लेकर पुलिस के वरिय पदाधिकारियों के समक्ष मामला उठा कर ऐसे लापरवाह पुलिस पदाधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की जाएगी.