हाईलाइट्स
• टीबी उन्मूलन में उत्कृष्ट योगदान के लिए चैंपियन राजू रंजन को स्वास्थ्य मंत्री ने किया सम्मानित
• टीबी से जीता जंग, अब टीबी उन्मूलन में सहयोग का लिया संकल्प
• सामुदायिक जागरूकता से टीबी उन्मूलन की राह को कर रहे है आसान
छपरा। जब खुद पर टीबी जैसी बीमारी की मार पड़ी तो जीवन में संघर्ष समझ में आया। कई लोगों ने मदद की तो कुछ लोगों ने टीबी की बीमारी के नाम पर मदद करने से मुंह मोड़ लिया। आखिरकार दृढ़ इच्छाशक्ति और सकारात्मक सोच की वजह से वह इस बीमारी से अब पूरी तरह से उबर गए। साथ ही संकल्प लिया कि इस बीमारी से पीड़ित दूसरे मरीजों का मनोबल बढ़ाएंगे। उन्हें संबल देंगे। हम बात कर रहें सारण जिले के मढौरा प्रखंड के सलिमापुर गांव के 30 वर्षीय युवक राजू रंजन की। जिन्हे वर्ष 2018 में टीबी बीमारी हो गया। खांसी-बुखार, सांस लेने में तकलीफ और अन्य शरीरिक पीड़ा सहन करना पड़ा। तब उन्होने सरकारी अस्पताल की ओर अपना कदम बढ़ाया जहां पर संपूर्ण इलाज किया गया और सात माह के नियमित दवा सेवन से वह पूरी तरह से ठीक हो गये। इस दौरान उन्हें निक्षय पोषण योजना के तह हर माह 500 रूपये भी विभाग के द्वारा दिया गया।
टीबी के मरीजों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनकर हिम्मत बढ़ा रहें:
राजू रंजन को जब टीबी था तो कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, शरीरिक पीड़ा के साथ-साथ मानसिक समस्या का समाना करना पड़ा। बीमारी होने के कारण आस-पास के लोगों ने भेदभाव भी किया तो कईयों ने दूरी बना ली। लेकिन इन सब बातों के बावजूद वे अपने दृढ़ इच्छाशक्ति के बदौलत टीबी को मात देकर आज स्वस्थ जीवन हीं नहीं जी रहें है बल्कि दूसरे टीबी के मरीजों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनकर हिम्मत बढ़ा रहें है। वे गांव में सामुदायिक बैठक कर लोगों को टीबी से बचाव तथा उपचार के बारे में जानकारी देकर जागरूक करते है। जब उन्होंने टीबी से जंग जीत ली तो तय कर लिया कि अब वह टीबी से जूझ रहे लोगों का इलाज कराकर उन्हें नया जीवन देने का काम करेंगे। वे स्कूलों में जाकर कभी बच्चों को टीबी से बचाव की जानकारी देते हैं तो, कभी गांवों मे जाकर महिलाओं को जागरूक करते है। ताकि टीबी मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार किया जा सके।
स्वास्थ्य मंत्री ने टीबी चैंपियन को किया सम्मानित:
सारण के टीबी चैंपियन राजू रंजन को टीबी मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने पटना में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया है। राजू रंजन ने अब तक उत्कृष्ट कार्य किये है। वे अब तक 1100 से अधिक टीबी के मरीजों को सर्विस प्रोवाइड कराने में मदद किया है। 100 से अधिक जगहों पर जागरूकता अभियान चलाया। 100 से ज्यादा होम विजिट, 200 से अधिक मरीजों का जांच कराया है जिसमें 45 टीबी मरीजों की पहचान हुई। 90 टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना का राशि दिलाने, 17 टीबी मरीजों को फूड बास्केट वितरण कराने में सहयोग किया है। 20 पीआरआई सदस्यों से टीबी मुक्त पंचायत पर पहल की है।
टीबी मुक्त समाज बनाने का लिया संकल्प
राजू रंजन जब पूरी तरह से ठीक हो गये तो स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उन्हें टीबी चैंपियन का दर्जा दिया गया। राजू रंजन ने बताया कि विभाग का लक्ष्य है कि 2025 तक टीबी उन्मूलन किया जाये। मैने भी यह संकल्प लिया है कि जब तक हमारा गांव- समाज और देश टीबी मुक्त नहीं हो जाता है तब तक अपने कर्तव्यों का निवर्हन करते रहें। राजू का कहना है, ‘टीबी बीमारी की बीमारी से वजन कम हो जाता है और रंग-रूप भी बदल जाता है। इससे हम असहज महसूस करते हैं कि लोग क्या कहेंगे? मुझे लगता है दुनिया का सबसे बड़ा रोग है ‘लोग क्या कहेंगे’। पहले इससे छुटकारा पाना होगा। ‘बीमारी में अपनों की भूमिका अहम होती है। यह वह समय होता है, जब आपको दवा के साथ अपनों के साथ की भी बेहद जरूरत होती है। मेरे आस-पास के कुछ लोगों ने भेदभाव की दृष्टि से देखा, लेकिन परिवार के लोगों ने मेरा साथ दिया और हौसला बढाया कि मैं ठीक हो जाऊंगा और मैं ठीक हो भी गया। मैने चिकित्सक की सलाह पर अपने ना खाने ना का बर्तन अलग रखा और अपने आप को भी परिवार से थोड़ा अलग रखा ताकि मेरे परिवार के किसी सदस्य को यह बीमारी बिमारी नहीं हो।
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