छपरा। जिले में शीतलपुर और नयागांव के बीच में नदी पर एक पुराना पुल है। मलखान चक के पास जिसेको पाटी पुल कहा जाता है। पहले यह छपरा पटना मुख्य मार्ग का हिस्सा हुआ करता था अभी यहां सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है नई सड़क का निर्माण हो जाने के कारण इस रास्ते पर वाहनों का आवागमन अब धीरे-धीरे कम होने लगा है पर नदी के पुल के पश्चिमी सिरे पर बिकने वाली ताजी जिंदा मछली के कारण लोगों के जेहन में या इलाका आज भी विशिष्टता धारण किए हुए साल के 12 महीने आप सुबह के वक्त इधर से गुजरिएगा तो आपके यहां पर ताजी और जिंदा देसी मछली बिकते हुए नजर आ जाएगी। छपरा सीवान गोपालगंज की तरफ से आने वाली कई बरसाती नदियां यहां पर आकर आगे गंगा में मिल जाती है।
नई नदी कई धाराओं में बाटी है और उसमें सालों भर पानी रहता है जिस कारण से मछली आसानी से मिल जाती है। इन इलाकों में बड़ी मछलियों से ज्यादा छोटी मछलियां लोग बड़े चाव से खाते है। छोटी मछली के मेकिंग में सबसे बड़ा पक्ष होता है उसे लहसुन धनिया मिर्च सरसों पाउडर के पीछे मसाले में मछली को फ्राई करना।
छपरा जिले में मछली को सीधे तेल में ताला नहीं जाता खासकर छोटी मछलियों को उन्हें मसाले में डालकर हल्के आज पर कर लगाया जाता है यानी एक तरफ से मछली पूरी तरह से बर्तन में चिपक जाती है तब उसे पलटा जाता है इससे उसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। सड़क और हाईवे के किनारे के छोटे-छोटे ढाबे में आप छोटी मछलियों का आनंद ले सकते हैं इसका कोई रेट निर्धारित नहीं होता है ₹50 से लेकर ₹200 तक में दो आदमी भरपेट खा सकता है साथ में रोटी और चावल का जरूर अलग से पैसा देना पड़ता है।
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