पटना। यह कहानी एक ऐसे छात्र की है, जिसने कभी अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए घूम-घूमकर दूध बेचने का काम किया। उसके सिर पिता का साया उसी वक्त उठ गया जब वह स्कूल में पढ़ाई करता था। आज वह युवक एक बड़ी कंपनी में 16 लाख के पैकेज पर जॉब कर रहा है। यह कहानी बिहार के अभिनंदन यादव की जो, एक छोटे से गांव के रहने वाला है। गांव का नाम है तेतरी, दरभंगा और सहरसा बॉर्डर पर गांव है। जो गांव साल में 6 माह बाढ़ से डूबा रहता है।
उसने बताया कि उसके गांव में मात्र कुछ ही पक्के मकान थे, वह अपने गांव से कंप्यूटर साइंस पढ़ने वाला पहला छात्र था। पिता की मृत्यु तभी हो गई थी जब स्कूल में था। पिता की मृत्यु के पश्चात परिवार को उसके बड़ी बहन के पति, उसके जीजा जी ने सपोर्ट किया । लेकिन उनकी भी कम उम्र में ही मृत्यु हो गई । अब बहन और उसके बच्चों की जिम्मेदारी भी अभिनंदन पर आ गई थी। उसने दूध बेचकर के परिवार का और अपनी पढ़ाई कर खर्च उठाया ।
एक भाई की मदद से सिमेज में उसका नामांकन हुआ और इंफोसिस में काम करने के बाद आज वह जर्मन आईटी मेजर Amdocs में सीनियर प्रोग्रामर है । लाखों रुपए का वेतन है …और तेतरी में कच्चे मकान में रहने वाला अभिनंदन यादव नोएडा में अपने घर का गृह प्रवेश कर रहा है । अभिनंदन, सिमेज के 2014-17 बैच का छात्र है, सिमेज से इंफोसिस में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में प्लेसमेन्ट मिला था ।
अभिनंदन दरभंगा जिले में कोशी के किनारे एक ऐसे गांव से आता है जहाँ साल में छह महीने सड़क पर गाड़ी नही नाव चलती है, सरकारी स्कूलों में पढ़ा, हिंदी माद्धयम का विद्यार्थी था। कभी इंग्लिश में परीक्षा नही दी, कभी इंग्लिश में किताबो को नही पढ़ा था। आज भारत की IT ग्रोथ स्टोरी में अपना चैप्टर लिख रहा है । इंफोसिस में 6 लाख का पैकेज मिला था और… अभी उसे अमडोक्स में 16 लाख का पैकेज मिल रहा है ।
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