क्राइमछपरा

17 साल पुराने हत्या के प्रयास के दो अलग-अलग मामलों में 5 दोषियों को सश्रम कारावास की सजा

जमीन विवाद से शुरू हुआ था झगड़ा

छपरा। हत्या के प्रयास के दो अलग-अलग मामलों में जिला एवं सत्र न्यायाधीश अष्टम अनील कुमार भारद्वाज की अदालत ने पांच दोषियों को सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है। दोनों ही मामले गड़खा थाना क्षेत्र के कमालपुर गांव से संबंधित हैं। अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर दोषियों को दोषी पाते हुए सजा दी।

पहला मामला:

गड़खा थाना कांड संख्या 39/2005 (सत्र वाद संख्या 39/2018) में न्यायालय ने भगत राय, भीम राय और उमा राय को दफा 307 भादवि (हत्या का प्रयास) के तहत पांच वर्ष का सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड, दफा 323 के तहत तीन माह की सजा, और दफा 379 के तहत छह माह की सजा सुनाई है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

मामले में शिकायतकर्ता शिवनाथ राय ने गड़खा अस्पताल में अपने फर्द बयान में बताया था कि 4 मई 2005 की रात लगभग आठ बजे जब वे घर के दरवाजे पर बैठे थे, तभी भगत राय और अन्य अभियुक्त आए और गाली-गलौज करने लगे। जमीन विवाद को लेकर कहासुनी के दौरान भगत राय ने उन पर जानलेवा हमला कर सिर पर चाकू से वार कर दिया। बीच-बचाव करने आई पत्नी पूर्णवासी देवी को भी मारपीट कर जख्मी कर दिया गया।

अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक दीपक कुमार सिंह ने सरकार का पक्ष रखा। इस प्रकरण में कुल पांच गवाहों की गवाही कराई गई। अनुसंधान के उपरांत पुलिस ने 3 सितंबर 2005 को अंतिम प्रपत्र न्यायालय में दाखिल किया था।

दूसरा मामला:

गड़खा थाना कांड संख्या 52/2005 (सत्र वाद संख्या 207/2006) में न्यायालय ने प्रभुनाथ राय और शिवनाथ राय को दफा 307 भादवि के तहत पांच वर्ष का सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड, तथा दफा 341 के तहत दो माह की सजा सुनाई है।

इस मामले के सूचक भगत राय ने छपरा सदर अस्पताल में भगवान बाजार थाना के समक्ष अपना फर्द बयान दर्ज कराया था। उन्होंने बताया कि 4 मई 2005 की रात करीब आठ बजे जब वे शौच कर लौट रहे थे, तभी प्रभुनाथ राय और शिवनाथ राय ने उन्हें रास्ते में रोककर गाली-गलौज की और गर्दन पर धारदार हथियार से वार कर दिया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।

अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक प्रिय रंजन सिन्हा ने सरकार का पक्ष रखा। इस मामले में छह गवाहों की गवाही कराई गई। पुलिस ने 29 जुलाई 2005 को न्यायालय में अंतिम प्रपत्र दाखिल किया था। घटना का कारण दोनों पक्षों के बीच पुराना विवाद बताया गया है।

News Desk

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