Divya Gautam: दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत की बहन दिव्या गौतम महागठबंधन से मिला टिकट
बीजेपी के गढ़ में उतरीं दिव्या, छात्र राजनीति से समाजसेवा तक का लंबा सफर

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल गरमाने लगा है। महागठबंधन में जहां सीट बंटवारे को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, वहीं भाकपा-माले (CPI-ML) ने बड़ा दांव खेलते हुए दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की ममेरी बहन दिव्या गौतम को पटना की दीघा विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। दीघा सीट पर भाजपा का अब तक दबदबा रहा है, लेकिन दिव्या की एंट्री से मुकाबला दिलचस्प और सियासी रूप से संवेदनशील बन गया है।
छात्रा से सियासत तक: दिव्या का संघर्ष और सफर
दिव्या गौतम, जो पटना विश्वविद्यालय के पटना कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक हैं, ने छात्र जीवन से ही समाजसेवा और राजनीति की राह चुनी। वर्ष 2012 में उन्होंने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) के टिकट पर पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (PUSU) अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा था, जहां वे दूसरे स्थान पर रहीं।
सरकारी नौकरी छोड़ समाज सेवा में जुटी
उनका राजनीतिक एजेंडा शुरू से ही युवा सशक्तिकरण, शिक्षा सुधार और सामाजिक न्याय पर केंद्रित रहा है। शैक्षणिक रूप से भी दिव्या काफी मेधावी रही हैं। उन्होंने पहले ही प्रयास में 64वीं बीपीएससी परीक्षा पास की और आपूर्ति निरीक्षक के पद पर चयनित हुईं, मगर सरकारी नौकरी ठुकराकर सामाजिक कार्य और शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय रहने का फैसला किया। वह यूजीसी-नेट क्वालिफाइड हैं और फिलहाल पीएचडी रिसर्च कर रही हैं।
सुशांत सिंह राजपूत के परिवार से जुड़ीं, अब राजनीति में सक्रिय
2020 में सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु के बाद दिव्या ने परिवार के साथ मजबूती से खड़ी रहीं। अब राजनीति में उतरकर वे बिहार के युवाओं को एक नया संदेश देना चाहती हैं — “सपने देखने और उन्हें साकार करने का साहस रखो।” उनकी एंट्री को कई लोग भाकपा-माले की रणनीतिक चाल मान रहे हैं, जिसका मकसद युवा वोटरों और राजपूत समुदाय के बीच पैठ बनाना है।
दीघा सीट: एनडीए का गढ़, अब बनेगा सियासी रणक्षेत्र
दीघा विधानसभा सीट पर 2020 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार डॉ. संजीव चौरसिया ने 97,044 वोटों के साथ शानदार जीत दर्ज की थी, जबकि भाकपा-माले की शशि यादव को 50,971 वोट मिले थे। इस तरह बीजेपी को 46,073 वोटों के अंतर से जीत मिली थी। इस बार माले ने शशि यादव (अब एमएलसी) की जगह दिव्या गौतम को मौका दिया है।
दीघा पटना का तेजी से विकसित होता शहरी क्षेत्र है, लेकिन यहां गरीबी, बाढ़, बेरोजगारी, गंदगी और अव्यवस्थित ट्रैफिक जैसी समस्याएं अब भी बड़ी चुनौती हैं। क्षेत्र में ईबीसी, दलित और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी निर्णायक मानी जाती है।
पार्टी महासचिव ने कहा- ‘युवा सोच और नई ऊर्जा का प्रतीक हैं दिव्या’
भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा, “दिव्या गौतम हमारे नए दौर की प्रतिनिधि हैं। वे पढ़ी-लिखी, सोच रखने वाली और समाज के निचले तबके के हक के लिए आवाज उठाने वाली युवती हैं। दीघा से उनकी उम्मीदवारी हमारे लिए गर्व की बात है।”
वर्ग | विवरण |
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विधानसभा सीट | दीघा (पटना जिला) |
पार्टी | भाकपा-माले (CPI-ML) |
उम्मीदवार का नाम | दिव्या गौतम |
पहचान | दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की ममेरी बहन |
शैक्षणिक योग्यता | एम.ए. (मास कम्युनिकेशन), यूजीसी नेट क्वालिफाइड, पीएचडी शोधार्थी |
छात्र राजनीति अनुभव | 2012 में AISA टिकट पर PUSU अध्यक्ष पद की उम्मीदवार (दूसरा स्थान) |
अन्य उपलब्धियां | 64वीं BPSC में चयनित (आपूर्ति निरीक्षक पद) |
वर्तमान पेशा | सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण से जुड़ीं |
राजनीतिक एजेंडा | युवा सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय, शिक्षा सुधार |
2020 में दीघा परिणाम | भाजपा — संजीव चौरसिया (97,044 वोट), माले — शशि यादव (50,971 वोट) |
वोटों का अंतर (2020) | 46,073 |
पूर्व प्रत्याशी (माले) | शशि यादव (अब एमएलसी) |
दीघा सीट का सामाजिक समीकरण | ईबीसी, दलित, मुस्लिम और मध्यम वर्ग के मतदाता निर्णायक |
वर्तमान परिदृश्य (2025) | दिव्या गौतम बनाम भाजपा के संजीव चौरसिया — कड़ा मुकाबला तय |
चुनाव तिथि | 6 और 11 नवंबर 2025 |
मतगणना तिथि | 14 नवंबर 2025 |