छपरा। छपरा नगर निगम की पदच्युत मेयर राखी गुप्ता की मुश्किलें कम नही हो रही है। मेयर पद गवाने के बाद अब उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज किया जाएगा। नामांकन के समय साक्ष्य छुपाने के मामले में राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ दीपक प्रसाद से मिले दिशा- निर्देश के आलोक में छपरा नगर थाना में प्राथमिक की दर्ज करने के लिए जिला पंचायती राज पदाधिकारी राजू कुमार ने साक्ष्य सहित आवेदन दिया है। आवेदन में जिला पंचायती राज पदाधिकारी ने कहा है कि राखी गुप्ता ने नगर निगम के मुख्य पार्षद के पद के नामांकन में दाखिल अभ्यर्थी का बायोडाटा में जानबुझकर एक षडयन्त्र के तहत आम जनता, अपने प्रतिद्वन्दियों एवं सरकार को धोखा देने के उद्देश्य से गलत हलफनामा देकर तथ्य को छुपाकर मुख्य पार्षद के पद पर निर्वाचित घोषित हुई।श्रीमती गुप्ता द्वारा नगरपालिका अधिनियम 2007 के धारा 18 के तहत अर्हता प्राप्त नही रहने के बावजूद भी आम जनता, प्रतिद्वन्दियों एवं सरकार को धोखा देकर गलत हलफनामा दाखिल कर निर्वाचित होना नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 447 के तहत एक दण्डनीय अपराध है। ऐसे में श्रीमती राखी गुप्ता के विरुद्ध विभिन्न अधिनियमों के सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाय। मालूम हो कि 27 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयुक्त ने मेयर को उनके पद से पदच्युतकरने का आदेश जारी किया था। जिला पदाधिकारी को कानूनी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था राज्य निर्वाचन आयुक्त से मिले निर्देश के आलोक में जिला पदाधिकारी में छपरा कोर्ट के सरकारी वकील अवध किशोर सिन्हा से भी कानूनी राय लिया और जिला पंचायती राज पदाधिकारी को राखी गुप्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया।
दो से अधिक जीवित संतान रहने की आयोग में हुई थी सुनवाई
राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ दीपक प्रसाद ने अपने आदेश में कहा था कि छपरा की मेयर राखी गुप्ता चार अप्रैल 2008 के उपरांत दो से अधिक जीवित संतान रहने के कारण चुनाव पूर्व योग्यता के संवीक्षा की तिथि को तथ्यों को छुपाकर गलत शपथ पत्र के आधार पर छपरा नगर निगम के मुख्य पार्षद पद पर नियुक्त होने में कामयाब रही। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने यह भी कहा था कि इस आदेश के साथ ही मुख्य पार्षद अर्थात मेयर का पद रिक्त समझा जाएगा तथा नियमानुसार इस पर निर्वाचन की कार्रवाई संपन्न कराई जाएगी। छपरा नगर निगम के पूर्व मेयर सुनीता देवी ने राखी गुप्ता के खिलाफ आयोग में शिकायत की थी। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपनी बात तथ्यों के आधार पर रखी थी। सुनीता देवी के अधिवक्ता अनुज कुमार ,अभिनव अशोक व अन्य ने आयोग के समक्ष पक्ष रखा। राखी देवी की तरफ से अधिवक्ता कुमार मंगलम में आयोग में पक्ष रखा था।कई तारीखों पर सुनवाई की गई राखी गुप्ता को जवाब दायर करने के लिए भी समय दिया गया परंतु कई तिथियों पर राखी गुप्ता ने जवाब दायर नहीं किया।
हाईकोर्ट से भी नहीं मिली थी राहत
आयोग के आदेश में यह भी कहा गया था कि पटना उच्च न्यायालय के स्तर पर किसी प्रकार का स्थगन आदेश अथवा यथास्थिति बरकरार रखने के लिए कोई आदेश नहीं दिया गया है। इसके बावजूद राखी गुप्ता द्वारा सुनवाई के दौरान समय की मांग की थू। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी द्वारा जवाब के लिए बार-बार समय की मांग पर वाद की प्रगति को बाधित करने का प्रयास किया जा रहा है परंतु नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के तहत आयोग द्वारा प्रतिवादी को जवाब दायर करने का कई बार अंतिम अवसर प्रदान किया गया। पद मुक्त करने संबंधी आदेश में आयोग ने कहा है कि राखी गुप्ता के नामांकन पत्र में दो संतानों का उल्लेख किया गया है जबकि उन्हें चार अप्रैल 2008 के उपरांत दो से अधिक जीवित संतान है। उनके द्वारा आयोग को बताया गया कि प्रतिवादी द्वारा दो पुत्रियों प्रथम श्रेयांशी प्रकाश पुत्री शिवांशी प्रकाश का उल्लेख नामांकन पत्र में किया गया है परंतु दोनों पुत्रियों के पश्चात अपने तीसरे संतान पुत्र श्रीरिश श्री ष प्रकाश जिनकी जन्म तिथि एक सितंबर 2017 का उल्लेख नहीं किया गया है। निर्वाचन के पहले चार फरवरी 2022 को निबंधित गोदनामा के माध्यम से अपने मौसा गोपालगंज के पुरानी चौक निवासी निसंतान ठाकुर प्रसाद एवं मौसी उर्मिला देवी को को दे दिया गया।
डीएम ने निबंधन विभाग से कराया था सत्यापन
सारण के जिलाधिकारी ने भी निबंधन कार्यालय से गोदनामा का सत्यापन कराया तो सही पाया गया। इसमें यह प्रमाणित हुआ था कि राखी गुप्ता का तीसरी संतान 4 फरवरी 2008 के उपरांत हुआ है क्योंकि उस गोदनामा में श्रीष प्रकाश की जन्म तिथि एक सितंबर 2017 स्वयं माता राखी गुप्ता व पिता वरुण प्रकाश द्वारा अंकित की गई है।
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