
पटना। बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी “मुख्यमंत्री हरित कृषि संयंत्र योजना” अब किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (पैक्स) में कृषि उपकरण बैंक स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे लघु एवं सीमांत किसानों को समय पर आधुनिक कृषि यंत्र किराये पर उपलब्ध हो रहे हैं।
पैक्स को मिल रहा 15 लाख रुपये का सहयोग
राज्य सरकार प्रत्येक पैक्स को कृषि यंत्रों की खरीद के लिए कुल 15 लाख रुपये उपलब्ध कराती है। इसमें 50 प्रतिशत राशि ऋण (ब्याज सहित) और 50 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दी जाती है। इस धनराशि से पैक्स ट्रैक्टर, ट्रॉली, थ्रेशर, रोटावेटर, लेजर लैंड लेवेलर, पावर स्प्रेयर समेत फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़े उपकरण जैसे Reaper Cum Binder, Straw Reaper, Super Seeder, Baler, Rotary Mulcher आदि खरीद रहे हैं।
अब तक 16,315 कृषि यंत्र वितरित
योजना की शुरुआत से अब तक प्रदेश के 2,973 पैक्सों को 16,315 आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा चुके हैं। इन यंत्रों का उपयोग ग्रामीण किसानों को बाजार दर से कम किराये पर कराया जा रहा है। इससे खेती की लागत घटी है और किसानों की आमदनी बढ़ रही है।
किसानों के लिए आसान बुकिंग व्यवस्था
कृषि यंत्रों की बुकिंग किसानों के लिए अब बेहद सरल कर दी गई है। वे “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर पैक्स से सीधे बुकिंग करा सकते हैं। साथ ही मोबाइल ऐप के माध्यम से भी ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा उपलब्ध है।
पारदर्शिता पर जोर
सहकारिता विभाग ने पैक्सों को निर्देश दिया है कि वे लॉगबुक, किराया बुकिंग व प्राप्ति पंजी, परिसंपत्ति पंजी और मरम्मति पंजी का नियमित संधारण करें। इससे न केवल किसानों को भरोसा मिलता है, बल्कि पैक्स की आय और उपकरणों की स्थिति का सही आकलन भी होता है।
किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा, “मुख्यमंत्री हरित कृषि संयंत्र योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार की एक बड़ी पहल है। आधुनिक कृषि यंत्र हर खेत तक पहुँच रहे हैं, जिससे खेती लाभकारी बन रही है और गाँव की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।”
छोटे किसानों को भी मिला बड़ा सहारा
पहले जहां आधुनिक कृषि यंत्र केवल बड़े किसानों की पहुंच तक सीमित थे, वहीं अब छोटे और सीमांत किसान भी पैक्स द्वारा संचालित कृषि उपकरण बैंक से इन्हें आसानी से किराये पर ले पा रहे हैं। इससे न केवल कृषि कार्य समय पर हो पा रहा है बल्कि उत्पादन क्षमता भी बढ़ी है।