

रेलवे डेस्क। भारतीय रेल ने कैंसर पीड़ित कर्मचारियों, उनके आश्रितों और पेंशनभोगियों के लिए राहतभरी पहल करते हुए इलाज की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बना दिया है। अब कैंसर रोगियों को टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC), एम्स, पीजीआई, एनआईएमएचएएनएस, सरकारी अस्पतालों और रेलवे द्वारा सूचीबद्ध चिकित्सा संस्थानों में बिना अधिक पेचीदगियों के इलाज मिल सकेगा।
रेलवे द्वारा जारी की गई नई नीति के तहत अब इलाज के लिए रेफरल प्रक्रिया को बेहद सरल बना दिया गया है। इसके अंतर्गत सभी पात्र लाभार्थियों को यूनीक मेडिकल आइडेंटिफिकेशन (UMID) कार्ड के जरिए सीधे इलाज की सुविधा दी जाएगी।
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रेफरल प्रक्रिया में प्रमुख बदलाव:
पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चन्द्र ने बताया कि अब प्रत्येक रेलवे ज़ोन में एक रेलवे चिकित्सक को नोडल प्राधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो कैंसर के मामलों में रेफरल जारी करेंगे। सेवारत कर्मचारी, उनके आश्रित और पेंशनभोगी UMID कार्ड लेकर संबंधित स्वास्थ्य केंद्र पहुंच सकेंगे। रेफरल की वैधता 90 दिनों तक होगी, इस अवधि में रोगी तीन विशेषज्ञों से अधिकतम छह बार परामर्श ले सकेंगे। विशेष बात यह है कि फॉलोअप उपचार के लिए दोबारा रेफरल की जरूरत नहीं होगी। यानी मरीज एक बार रेफरल लेकर पूरे उपचार की प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं।
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कहां-कहां मिलेगा इलाज:
- टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई
- एम्स (नई दिल्ली), पीजीआई (चंडीगढ़ व पुडुचेरी)
- निमहंस (बेंगलुरु)
- केंद्र सरकार के स्वास्थ्य योजना (CGHS) से जुड़े अस्पताल
- रेलवे द्वारा सूचीबद्ध अस्पताल
इन सभी अस्पतालों में इलाज के लिए अब प्राथमिक रेफरल या अनुमति की जरूरत नहीं होगी, खासकर ओपीडी में प्रारंभिक जांच और प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजी के लिए।
इलाज में क्या-क्या होगा शामिल:
नए प्रोटोकॉल के अनुसार, रोगियों को निम्नलिखित सेवाएं UMID कार्ड के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएंगी:
- ओपीडी पंजीकरण, परामर्श, प्रारंभिक जांच, दवाइयां
- कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी
- ऑपरेशन के बाद की देखभाल और दवा आपूर्ति
यदि टाटा मेमोरियल अस्पताल कोई आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं कराता है, तो मरीज संबंधित रेलवे अस्पताल या हेल्थ यूनिट से दवा प्राप्त कर सकेंगे।
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प्रतिपूर्ति व्यवस्था:
इलाज के लिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया TMCH के साथ हुए समझौता ज्ञापन की दरों पर आधारित होगी या वास्तविक खर्च के अनुसार, जो भी कम हो। यह सुविधा विशेष रूप से उन मरीजों के लिए लाभकारी है जो कैंसर जैसी जटिल और खर्चीली बीमारी से जूझ रहे हैं। रेलवे का यह फैसला उनके आर्थिक और मानसिक बोझ को काफी हद तक कम करेगा।
रेलवे द्वारा शुरू की गई यह नई नीति न केवल कर्मचारी हितैषी है, बल्कि यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक सकारात्मक और मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है। इलाज में पारदर्शिता, सुविधा और समय की बचत से कैंसर पीड़ित कर्मचारियों व उनके परिवारों को राहत मिलेगी। |