
छपरा। सारण जिले के रसूलपुर थाना क्षेत्र में स्थित बाबा दूधनाथ शिवालय श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर की विशेषता सिर्फ इसकी प्राचीनता नहीं बल्कि इससे जुड़ी अद्भुत मान्यता भी है। लोगों का विश्वास है कि यहां दूध का दूध और पानी का पानी वाला न्याय होता है। इस मंदिर में कोई झूठी कसम नहीं खा सकता, क्योंकि गलत कसम खाने वालों को बाबा का दंड मिलता है, जबकि सत्यवादी को न्याय प्राप्त होता है।
गलत कसम खाने वाले व्यक्ति को बाबा ने दंडित किया
सेवानिवृत्त शिक्षक रामनरेश सिंह बताते हैं कि करीब 300 साल पहले गांव के दो पक्षों के बीच किसी विवाद को लेकर झगड़ा हुआ। जब विवाद का निपटारा नहीं हो सका, तो दोनों पक्षों के लोग बाबा दूधनाथ शिवालय पहुंचे और मंदिर में कसमें खाईं। कहा जाता है कि गलत कसम खाने वाले व्यक्ति को बाबा ने दंडित किया, जबकि सत्य बोलने वाले को न्याय मिला। उस दिन से यह मान्यता बन गई कि यहां झूठी कसम नहीं खाई जाती और तभी से इस मंदिर को बाबा दूधनाथ शिवालय के नाम से जाना जाने लगा।





शिवरात्रि पर लगेता है भक्तों का मेला
हर माह की शिवरात्रि पर भव्य धार्मिक आयोजन रसूलपुर थाना मुख्यालय से मात्र 3 किलोमीटर पूरब-उत्तर के कोण पर स्थित यह मंदिर हर शिवरात्रि को भक्ति और श्रद्धा के रंग में रंग जाता है। विशेष रूप से महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां बड़े धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। वरिष्ठ नागरिक सुशील सिंह उर्फ नेता जी हर महीने की शिवरात्रि पर गीत-गवनई का आयोजन करते हैं। शिवरात्रि के एक दिन पहले ही वे फोन पर गायक और वादक कलाकारों को आमंत्रण भेज देते हैं। फिर मंदिर में दिनभर पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजन होते हैं, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
एक विशाल और स्वच्छ तालाब
मंदिर और तालाब की भव्यता देखने लायक बाबा दूधनाथ शिवालय का रंग-रोगन और सौंदर्य मन को मोह लेता है। जब सूर्य की किरणें इस मंदिर की दीवारों पर पड़ती हैं, तो उसकी चमक इतनी तेज होती है कि आंखें उसपर ठहर नहीं पातीं। मंदिर के पास ही एक विशाल और स्वच्छ तालाब है, जिसकी सुंदरता और निर्मलता को देखकर मन ठहर जाता है। यह ग्रामवासियों और मंदिर समिति की श्रद्धा का परिणाम है कि यह मंदिर और इसका परिसर हमेशा स्वच्छ और भव्य बना रहता है।
हर घर से एक जवान फौज में भर्ती
धार्मिक आयोजन में ग्रामीणों का विशेष योगदान पैक्स प्रतिनिधि पंकज सिंह का कहना है कि यहां होने वाले धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ और अन्य धार्मिक कार्यों में गांव के सरकारी नौकरी करने वाले लोग भी बढ़-चढ़कर सहयोग करते हैं। कई लोग अपनी एक महीने की तनख्वाह मंदिर को दान कर देते हैं, ताकि यहां होने वाले कार्यक्रम भव्य रूप से संपन्न हो सकें। बाबा दूधनाथ की कृपा का प्रभाव यह है कि गांव के लगभग हर घर से एक जवान फौज में भर्ती है। यह परंपरा पिछली तीन-चार पीढ़ियों से चली आ रही है, जो बाबा की महिमा को और भी मजबूत करती है।
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