
छपरा। भारतीय रेलवे यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। दुर्घटनाओं को रोकने और ट्रेन संचालन की निगरानी के लिए रेलवे कई आधुनिक तकनीकों का उपयोग करता है। इन्हीं में से एक अहम उपकरण है Axle Counter Box, जिसे आपने अक्सर रेलवे ट्रैक के किनारे एल्यूमिनियम बॉक्स के रूप में देखा होगा। कई लोग इसे इलेक्ट्रिक बॉक्स समझते हैं, लेकिन वास्तव में यह ट्रेन की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण डिवाइस है।
कैसे काम करता है Axle Counter Box?
Axle Counter Box रेलवे पटरियों पर लगाए गए सेंसर से जुड़ा होता है और यह ट्रेन के पहियों (एक्सल) की गिनती करता है। जब ट्रेन गुजरती है, तो यह उपकरण यह सुनिश्चित करता है कि ट्रेन में जितने एक्सल स्टेशन से निकलते समय थे, उतने ही आगे भी मौजूद हैं या नहीं।





दुर्घटना रोकने में कैसे मदद करता है यह बॉक्स?
अगर कोई डिब्बा ट्रेन से अलग हो जाए: Axle Counter Box तुरंत यह पता लगा लेता है कि ट्रेन से कुछ डिब्बे छूट गए हैं और अगले सिग्नल को रेड कर देता है। इससे ट्रेन को रोका जा सकता है और संभावित दुर्घटना को टाला जा सकता है।
नजदीकी रेलवे स्टेशन को अलर्ट: यह बॉक्स रेलवे नियंत्रण कक्ष को भी तुरंत सूचित कर देता है, जिससे रेलवे अधिकारी तत्काल आवश्यक कदम उठा सकते हैं।
ट्रेन की स्पीड और दिशा की निगरानी: Axle Counter Box न केवल ट्रेन के डिब्बों की गिनती करता है, बल्कि ट्रेन की स्पीड और दिशा को भी रिकॉर्ड करता है, जिससे ट्रैफिक मैनेजमेंट और सुरक्षा बढ़ती है।
कहां-कहां लगाए जाते हैं ये बॉक्स?
सुरक्षा के लिहाज से Axle Counter Box हर 3 से 5 किलोमीटर की दूरी पर लगाया जाता है। यह एक स्टोरेज डिवाइस से जुड़ा होता है, जो सीधे ट्रैक से कनेक्ट रहता है और हर गुजरने वाली ट्रेन की सटीक जानकारी संग्रहित करता है।
रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध
भारतीय रेलवे लगातार नई तकनीकों को अपनाकर ट्रेनों की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को मजबूत कर रहा है। Axle Counter Box जैसी आधुनिक तकनीकों के माध्यम से रेलवे यह सुनिश्चित कर रहा है कि यात्रियों की यात्रा अधिक सुरक्षित और निर्बाध हो।
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