जन्म के शुरूआती 2 घंटों तक शिशु होते हैं अधिक सक्रिय, जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान जरुरी

छपरा
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• सिजेरियन प्रसव में भी एक घंटे के भीतर शिशु को करायें स्तनपान

• शुरूआती स्तनपान से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास

छपरा: गर्भ में 9 महीने रहने के बाद शिशु का माता के साथ गहरा जुड़ाव कायम हो जाता है. इसलिए जन्म के तुरंत बाद शिशु को प्राकृतिक रूप से स्तनपान का वरदान प्राप्त होता है. जन्म के शुरूआती 2 घंटों तक शिशु अधिक सक्रिय रहते हैं. इसलिए शुरूआती 1 घंटे के भीतर ही स्तनपान शुरू कराने की सलाह दी जाती है. इससे शिशु सक्रिय रूप से स्तनपान करने में सक्षम होता है. साथ ही 6 माह तक केवल स्तनपान भी जरुरी होता है. इस दौरान स्तनपान के आलावा बाहर से कुछ भी नहीं देना चाहिए. ऊपर से पानी भी नहीं.

सिजेरियन प्रसव में भी 1 घंटे के अंदर स्तनपान:

सीएस डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया जन्म के शुरूआती 1 घंटे के भीतर शिशुओं के लिए स्तनपान अमृत समान होता है. यह अवधि दो मायनों में अधिक महत्वपूर्ण है. पहला यह कि शुरुआती 2 घंटे तक शिशु सर्वाधिक सक्रिय अवस्था में होता है. इस दौरान स्तनपान की शुरुआत कराने से शिशु आसानी से स्तनपान कर पाता है. सामान्य एवं सिजेरियन प्रसव दोनों स्थितियों में 1 घंटे के भीतर ही स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है. इससे शिशु के रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. जिससे बच्चे का निमोनिया एवं डायरिया जैसे गंभीर रोगों में भी बचाव होता है.

भ्रांतियों से रहें दूर:

शुरूआती समय में एक चम्मच से अधिक दूध नहीं बनता है. यह दूध गाढ़ा एवं पीला होता है. जिसे क्लोसट्रूम कहा जाता है. इसके सेवन करने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. लेकिन अभी भी लोगों में इसे लेकर भ्रांतियाँ है. कुछ लोग इसे गंदा या बेकार दूध समझकर शिशु को नहीं देने की सलाह देते हैं. दूसरी तरफ़ शुरूआती समय में कम दूध बनने के कारण कुछ लोग यह भी मान लेते हैं कि माँ का दूध नहीं बन रहा है. यह मानकर बच्चे को बाहर का दूध पिलाना शुरू कर देते हैं. जबकि यह केवल सामाजिक भ्रांति है. बच्चे के लिए यही गाढ़ा पीला दूध जरुरी होता है एवं माँ का शुरूआती समय में कम दूध बनना भी एक प्राकृतिक प्रक्रिया ही है.

जन्म के 1 घंटे के भीतर ही स्तनपान शुरू कराना आवश्यक:

जन्म के शुरूआती 2 घंटों तक शिशु अधिक सक्रिय रहते हैं।जन्म के 1 घंटे के भीतर ही स्तनपान शुरू कराना आवश्यक होता है। इससे शिशु सक्रिय रूप से स्तनपान करने में सक्षम होता है।6 माह तक केवल स्तनपान भी जरुरी होता है।