
छपरा। खेती-किसानी के साथ अब मछली पालन भी बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया गया है। इसमें लागत की अपेक्षा मुनाफा भी ठीक-ठाक हो रहा है. यूं कह सकते हैं कि बिहार के लोग भी अब व्यावसायिक रूप से मछली पालन करने लगे हैं। सारण जिले के अमनौर प्रखंड सराय बॉक्स निवासी रमन शर्मा के पुत्र रवि कुमार जिनके पिता पेशें से एक किसान हैं और रवि कुमार भी स्नातक कि पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए किसानी का दामन थाम लिया लेकिन किसानों की स्थिति को देखते हुए उन्होंने अपने स्तर से कुछ अलग करने की ठानी और फिर शुरू किया अपने ही गांव में बड़े स्तर पर मछली पालन और मुर्गा पालन का स्वरोजगार जिसके माध्यम से आज लाखों रूपए कि आमदनी करते हैं। रवि कुमार ने अपने गांव एक बीघा जमीन में तलाब खुदवाकर मछली का पालन किया है। उनके पिता ने हीं यह आईडिया दिया था। पहले उनके पिता मुर्गी पालन करते थे। समय के साथ-साथ कारोबार बढता गया अब मुर्गी पालन के साथ मछली पालन का स्वरोजगार भी शुरू किया है। मछली पालन से रवि कुमार सलाना दो-ढाई लाख रूपये की मुनाफा कमा रहें है। खास बात यह है कि अपने गांव में रहकर अच्छी कमाई कर रहें।
सरकार से नहीं मिला मदद:
मछली पालन और मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा अनुदान राशि और लोन भी देने का प्रावधान है। लेकिन लोन के लिए रवि कुमार बैंक चक्कर लगाकर थक गये। उन्हें सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली। उन्होने खुद के बदौलत पूंजी लगाकर अपना स्वरोजगार शुरू किया। रवि कुमार कहते हैं लोन उन्हीं को मिलता है जो लोग घूस देते हैं। हमने नहीं दिया तो मुझे नहीं मिला।





दूसरे लोगों को देते हैं ट्रेनिंग:
रवि कुमार अपने गांव में युवा किसानों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बने हुए है। उनके पास आस-पास के लोग इस बात की जानकारी लेने के लिए पहुंचते है कि उन्होने कैसे मछली और मुर्गी पालन का स्वरोजगार शुरू किया है। रवि कुमार भी आने वाले लोगों को निराश नहीं करते हैं। सभी को मछली पालन और मुर्गी पालन के लिए ट्रेनिंग देते हैं और युवा यहां से ट्रेनिंग लेकर स्वरोजगार करते हैं।
Publisher & Editor-in-Chief