देशबिहार

Railway Parcel: रेलवे की पार्सल डिलीवरी में लापरवाही, बाइक को बिहार भेजने के लिए किया पार्सल, रेलवे ने भेज दिया असम

रेलवे की लापरवाही बनी शिक्षक की परेशानी

रेलवे डेस्क। रेलवे की पार्सल सेवा की लापरवाही एक शिक्षक पर भारी पड़ गई। कानपुर के निवासी प्राथमिक स्कूल शिक्षक सत्यम ने बिहार के किशनगंज स्थित अपने विद्यालय आने-जाने के लिए 20 जून को बाइक पार्सल बुक कराई थी। लेकिन रेलवे की गलती ने उन्हें आर्थिक और मानसिक तनाव में डाल दिया।

बाइक न केवल 14 दिनों तक लोड नहीं की गई, बल्कि 435 रुपये अतिरिक्त चार्ज लेने के बावजूद रेलवे ने पार्सल को रद्द (कैंसल) करने से भी मना कर दिया। अंततः चार जुलाई को बाइक तो लोड हुई, लेकिन उसे गंतव्य किशनगंज के बजाय असम भेज दिया गया।

शिकायतें की, फिर भी नहीं सुनी गई फरियाद

सत्यम लगातार रेलवे से संपर्क करते रहे, शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन कहीं से भी समाधान नहीं मिला। स्कूल आने-जाने के लिए बाइक की सख्त जरूरत थी, लेकिन रेलवे की इस गलती ने उन्हें संकट में डाल दिया। “हर दिन घंटों वॉक कर स्कूल जाना पड़ रहा है,” उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया।

 रेल प्रशासन हरकत में आया, लेकिन समाधान अभी अधूरा

मीडिया में मामला आने के बाद उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक उपेंद्र चंद्र जोशी ने इसे संज्ञान में लिया और प्रयागराज डीआरएम रजनीश अग्रवाल व कटिहार डीआरएम को कार्रवाई के निर्देश दिए। कटिहार डीआरएम ने फोन पर माफी मांगी और बाइक किशनगंज पहुंचाने का आश्वासन दिया। रेलवे के सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने भी कहा, “मामला संज्ञान में आया है, और यात्रियों की समस्या दूर करने के लिए जरूरी निर्देश जारी किए गए हैं।”

रेलवे में लापरवाही की यह कोई पहली घटना नहीं

रेलवे के पार्सल विभाग की गलत डिलीवरी नई बात नहीं है। मई में आजम नकवी द्वारा कानपुर से बुलंदशहर भेजा गया एसी यूनिट पहले मेरठ फिर प्रयागराज भटकता रहा। सीआईएसएफ जवान अबिनाश सी. ने कानपुर से गया के लिए बाइक भेजी थी, जो कोलकाता पहुंच गई। इन घटनाओं से साफ है कि रेलवे का पार्सल ट्रैकिंग और डिलीवरी सिस्टम सुधार की सख्त जरूरत है।

शिक्षक सत्यम की पीड़ा

“मैं एक सामान्य शिक्षक हूं, स्कूल पहुंचना अब संघर्ष बन गया है। बाइक मेरे लिए साधन ही नहीं, जरूरत है। रेलवे की गलती ने मुझे मानसिक रूप से भी बहुत परेशान किया है। अब सिर्फ एक उम्मीद है कि बाइक जल्द मिल जाए।”

सवाल उठता है:

  • जब बाइक 14 दिन तक लोड नहीं हुई, तो ग्राहक को कैंसिलेशन का विकल्प क्यों नहीं दिया गया?
  • 435 रुपये अतिरिक्त चार्ज लेने के बावजूद सेवा में इतनी लापरवाही क्यों?
  • पार्सल ट्रैकिंग और हैंडलिंग में जवाबदेही कब तय होगी?

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

Related Articles

Back to top button
close