छपरा

संगीत के स्वर-सम्राट स्व. जवाहर राय को याद कर छलके सुर और आँसू, पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि

संगीत प्रेमियों ने दी गुरु को सच्ची श्रद्धांजलि

छपरा। प्रसिद्ध संगीताचार्य स्वर्गीय जवाहर राय की सातवीं पुण्यतिथि पर शुक्रवार को यादव छात्रावास, सलेमपुर में एक श्रद्धांजलि सभा सह सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी, उनके शिष्यगण, परिवारजन और गणमान्य अतिथि उपस्थित हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत स्व. जवाहर राय के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित कर की गई। दीप प्रज्वलन समारोह में प्रो. डॉ. लाल बाबू यादव, पूर्व मंत्री उदित राय, वरिष्ठ संगीताचार्य पंडित रामप्रकाश मिश्रा, शिक्षिका बिंदु देवी एवं स्व. जवाहर राय के पुत्र और संगीत शिक्षक उत्कर्ष कुमार सम्मिलित हुए।

भावुक हुए वक्ता, दी स्मृतियों की श्रद्धांजलि

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. डॉ. लाल बाबू यादव ने कहा, “जवाहर राय संगीत जगत के एक चमकते सितारे थे। उनका योगदान आज भी संगीत की दुनिया में जीवंत है। उन्होंने जो बीज बोए, वह आज एक समृद्ध फसल बन चुकी है। उनकी निष्ठा, समर्पण और शिक्षण शैली आज भी हमें प्रेरणा देती है।”

पूर्व मंत्री उदित राय ने कहा, “उनकी छोड़ी हुई सांगीतिक विरासत को उनकी पत्नी, पुत्र और शिष्यों ने जिस तरह सहेज कर रखा है, वह अत्यंत सराहनीय है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है।”

संगीताचार्य पंडित रामप्रकाश मिश्रा ने अपने साथी को याद करते हुए कहा, “जवाहर राय न केवल एक महान संगीतज्ञ थे, बल्कि एक नेकदिल इंसान भी थे। उन्होंने अपने संगीत ज्ञान से न जाने कितने विद्यार्थियों का भविष्य संवारा। उनका जीवन संगीत के प्रति पूर्णतः समर्पित था।”

अतिथियों को किया गया सम्मानित

इस अवसर पर अतिथि के रूप में पहुंचे पूर्व मंत्री उदित राय और प्रो. डॉ. लाल बाबू यादव को संगीताचार्य रामप्रकाश मिश्रा ने शॉल एवं मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया। स्व. जवाहर राय की पत्नी  बिंदु देवी को संगीत शिक्षिका प्रियंका कुमारी द्वारा सम्मानित किया गया।
बनारस से पधारे तबला वादक उदय शंकर मिश्रा एवं वायलिन वादक हेमंत कुमार को भी प्रशस्ति पत्र और सम्मान स्वरूप शॉल भेंट किया गया।

संगीत व नृत्य के माध्यम से दी गई श्रद्धांजलि

संगीत कार्यक्रम की शुरुआत बनारस से आए तबला वादक उदय शंकर मिश्रा और वायलिन वादक हेमंत कुमार द्वारा राग मारू बिहाग की सुंदर प्रस्तुति से हुई, जिसने माहौल को भावुकता से भर दिया। इसके पश्चात, पंडित रामप्रकाश मिश्रा ने अपने साथी को समर्पित एक भावनात्मक गीत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत नृत्य ने भी सभी दर्शकों का मन मोह लिया। कलाकार की प्रस्तुति इतनी प्रभावशाली रही कि दर्शक तालियों से स्वागत करने से खुद को रोक नहीं सके।

शिष्यों ने भी दी भावभीनी श्रद्धांजलि

स्व. जवाहर राय के शिष्य एवं बहुमुखी बाल कलाकार अनीश अनू ने तबला, हारमोनियम और गायन के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन कर सभी का दिल जीत लिया। उनकी शिष्या और संगीत शिक्षिका राज लक्ष्मी ने अपने गुरु को याद करते हुए कहा, “आज हम जो कुछ भी गा पा रहे हैं, वह उन्हीं की देन है। उन्होंने हमें संगीत ही नहीं, जीवन के मूल्य भी सिखाए। उनका सिखाने का तरीका इतना सहज और स्नेहिल था कि हम बच्चों की तरह उनसे सीखते थे।”

संगीत समाज का व्यापक प्रतिनिधित्व

इस अवसर पर संगीत प्रेमियों सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें संतोष राय, संगीत शिक्षक गुड्डू यादव, रंजन यादव, गायक सुमन शेखर, श्री भगवान जी, संगीताचार्य राजेश मिश्रा, समेत दिवंगत राय जी के परिवारजन शामिल रहे।

कार्यक्रम का समापन सभी द्वारा दो मिनट के मौन श्रद्धांजलि एवं सामूहिक भजन गान के साथ हुआ। इस आयोजन ने न केवल स्व. जवार राय को एक भावभीनी श्रद्धांजलि दी, बल्कि उनके संगीत योगदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की दिशा में एक सार्थक पहल भी की।

News Desk

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