बिहार

Railway Parcel: रेलवे में पहली बार निजी साझेदारी से पार्सल प्रबंधन, बिहार का ये स्टेशन बना रोल मॉडल

रेलवे लॉजिस्टिक्स को मिलेगी नई पहचान

Railway Desk:  पूर्व मध्य रेलवे के सोनपुर मंडल ने रेलवे के पार्सल प्रबंधन को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और कुशल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस कड़ी में मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर पहली बार निजी सहभागिता के तहत पार्सल हैंडलिंग का अनुबंध प्रदान किया गया है। यह अनुबंध पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से खगौल श्रम सहकारी समिति को सौंपा गया है।

इस नई व्यवस्था के तहत पार्सल की लोडिंग, अनलोडिंग और ट्रांसशिपमेंट का कार्य अब अनुबंधित श्रमिकों द्वारा किया जाएगा, जिन्हें इस कार्य के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। इससे न केवल रेलवे की परिचालन दक्षता में सुधार होगा, बल्कि ट्रेनों की समयबद्धता सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी।

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स्थानीय रोजगार को मिलेगा बढ़ावा


इस व्यवस्था से जहां पार्सल संचालन में तकनीकी और व्यवस्थागत सुधार आएंगे, वहीं स्थानीय स्तर पर 32 से अधिक लोगों को रोजगार भी मिलेगा। यह पहल सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

रेलवे लॉजिस्टिक्स को मिलेगी नई पहचान

इस ऐतिहासिक पहल पर मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) विवेक भूषण सूद ने कहा कि, “मुजफ्फरपुर स्टेशन पर पार्सल प्रबंधन में निजी सहभागिता का यह प्रयोग रेलवे के परिचालन में एक मील का पत्थर साबित होगा। हमारा लक्ष्य भारतीय रेलवे को केवल एक यात्री परिवहन सेवा नहीं, बल्कि एक विश्वसनीय और सशक्त लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के रूप में स्थापित करना है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मॉडल की सफलता के बाद इसे सोनपुर मंडल के अन्य प्रमुख स्टेशनों, जैसे छपरा, हाजीपुर और बरौनी पर भी लागू किया जाएगा।

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सेवाओं की गुणवत्ता में आएगा सुधार


रेलवे प्रशासन का मानना है कि इस मॉडल से पार्सल संचालन में समय की बचत होगी और ग्राहकों को तेज, सुरक्षित और पारदर्शी सेवा प्राप्त होगी।

नई प्रणाली से होंगे बहुस्तरीय लाभ

  • रेलवे राजस्व में वृद्धि
  • सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार
  • स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार को बढ़ावा
  • प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि

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मुजफ्फरपुर स्टेशन पर अपनाई गई यह पार्सल प्रबंधन की नई व्यवस्था न केवल रेलवे के परिचालन को स्मार्ट बनाएगी, बल्कि यह स्मार्ट लॉजिस्टिक्स हब की ओर रेलवे की प्रगति का प्रतीक भी बनेगी।

यह पहल इस बात का प्रमाण है कि जब निजी दक्षता और सार्वजनिक तंत्र एक साथ मिलते हैं, तो नवाचार, विकास और रोजगार के नए अध्याय लिखे जा सकते हैं। यह मॉडल भविष्य में भारतीय रेलवे के लिए आदर्श उदाहरण बनकर उभर सकता है।

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