छपरा

लोको पायलटों के लिए राहत भरी खबर: पूर्वोत्तर रेलवे के 176 इलेक्ट्रिक इंजनों में AC की सुविधा

छपरा। पूर्वोत्तर रेलवे ने लोको पायलटों की कार्य स्थितियों को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अब तक 176 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में वातानुकूलन (ए.सी.) की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है, जिससे लोको पायलटों को भीषण गर्मी में भी राहत मिलेगी। आने वाले समय में 90 और लोकोमोटिव में ए.सी. लगाने की स्वीकृति भी मिल चुकी है।

पूर्वोत्तर रेलवे की सभी प्रमुख लाइनों पर 100% विद्युतीकरण पूरा हो चुका है और सभी ट्रेनों का संचालन अब इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव द्वारा किया जा रहा है। इन इलेक्ट्रिक इंजनों में न केवल शोर कम होता है, बल्कि इनमें अधिक जगह, आरामदायक सीटें और बड़ी विंडो जैसी विशेषताएं भी मौजूद हैं, जिससे पायलटों की दृश्यता बेहतर हुई है। इससे सुरक्षा के स्तर में भी बढ़ोत्तरी देखी गई है।

रेलवे प्रशासन द्वारा पिछले 10 वर्षों में लोको कैबिनों में एर्गोनोमिक सीट, ए.सी. और अन्य तकनीकी सुधार किए गए हैं। सभी नए लोकोमोटिव वातानुकूलित कैबिनों के साथ आ रहे हैं और इनमें शौचालय भी शामिल हैं — जो 2014 से पहले किसी भी डिजाइन का हिस्सा नहीं थे। पुराने लोको में शौचालय जोड़ने के लिए डिज़ाइन में जरूरी रेट्रोफिटिंग की जा रही है।

रनिंग स्टॉफ को आराम के लिए भी विशेष ध्यान

पूर्वोत्तर रेलवे के 18 रनिंग रूम को पूरी तरह ए.सी. सुविधा से लैस किया गया है। वाराणसी मंडल में 4 लोको लॉबी (छपरा, मऊ, गोरखपुर पूर्व और वाराणसी) और 7 रनिंग रूम (छपरा, बलिया, भटनी, बनारस, प्रयागराज रामबाग, थावे और सीवान) सभी सुविधाओं से युक्त हैं। इसके अलावा गाजीपुर सिटी, आजमगढ़ और पंचदेवरी में भी रेस्ट रूम बनाए गए हैं।

लोको पायलटों के ड्यूटी घंटे भी निश्चित किए गए हैं — सवारी गाड़ियों में अधिकतम 8 घंटे और मालगाड़ियों में अधिकतम 10 घंटे। ड्यूटी के बाद उन्हें विश्राम के लिए रनिंग रूम में भेजा जाता है। अगली ड्यूटी तभी दी जाती है जब वे मुख्यालय में 16 घंटे या रनिंग रूम में 8 घंटे का विश्राम पूरा कर लेते हैं।

ड्यूटी प्रक्रिया और सुरक्षा जांच में सख्ती

ड्यूटी शुरू करने से पूर्व सभी रनिंग स्टॉफ को कम्प्यूटरीकृत लॉबी में “साइन ऑन” करना होता है, जहाँ उन्हें ट्रेन की जानकारी और गति प्रतिबंधों से अवगत कराया जाता है। साथ ही ब्रेथलाइज़र टेस्ट के जरिए एल्कोहल व अन्य नशा सेवन की जांच भी की जाती है।भारतीय रेल अपने रनिंग स्टॉफ के कल्याण और कार्य संतोष को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। तकनीकी उन्नयन, ऑन बोर्ड सुविधाओं में सुधार और आराम के लिए पर्याप्त इंतज़ाम के चलते लोको पायलटों का कार्य वातावरण पहले से कहीं अधिक बेहतर, सुरक्षित और आरामदायक हुआ है।

News Desk

Publisher & Editor-in-Chief

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