छपरा। लोक आस्था का महापर्व छठ न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसका वैज्ञानिक, ऐतिहासिक, और सामाजिक महत्व भी गहरा है। यह पर्व हमारी संस्कृति, परंपराओं, और रीति-रिवाजों का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। छठ पूजा की महत्ता और इसकी परंपरा का उल्लेख करने वाली अनेक पौराणिक एवं लोक कथाएँ प्रचलित हैं, जो इसे और भी विशिष्ट बनाती हैं। इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण पहलू सादगी, पवित्रता, और लोक संस्कृति का प्रतिबिंब है।
छठ पूजा की महत्ता और सांस्कृतिक मूल्यों को रेखांकित किया
इसी परंपरा और उसके महत्व को उजागर करने के उद्देश्य से छपरा शहर के एबीसी प्रेपरेटरी रेजिडेंशियल स्कूल के छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों द्वारा एक विशेष प्रस्तुति दी गई। इस आयोजन के माध्यम से विद्यार्थियों ने न केवल छठ पूजा की महत्ता और सांस्कृतिक मूल्यों को रेखांकित किया, बल्कि इसके पीछे छिपे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं को भी प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। इस प्रकार की प्रस्तुतियाँ नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
भक्ति और अध्यात्म से परिपूर्ण छठ पूजा में दिखावे का कोई स्थान नहीं
विद्यालय के निदेशक शंभू प्रसाद ने कहा कि भक्ति और अध्यात्म से परिपूर्ण छठ पूजा में दिखावे का कोई स्थान नहीं होता। इसे मनाने के लिए न तो विशाल पंडालों की जरूरत होती है, न ही भव्य मंदिरों की। यहां तक कि पूजा में ऐश्वर्ययुक्त मूर्तियों का भी कोई महत्व नहीं है। इस पर्व की भव्यता इसकी सादगी में निहित है, जो इसे अन्य धार्मिक आयोजनों से अलग बनाती है। बच्चों की प्रस्तुति ने सबका मन-मोह लिया।
प्राचार्य रीता देवी ने कहा कि छठ पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को एकजुट करने का माध्यम भी है। इसमें न कोई भेदभाव होता है, न किसी प्रकार की सामाजिक ऊँच-नीच। हर व्यक्ति समान भावना के साथ इसमें भाग लेता है, जिससे यह पर्व सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन जाता है। इस मौके पर शिक्षक-शिक्षिका और छात्र-छात्राएं मौजूद थी।
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