
पटना। बिहार के राजगीर खेल परिसर में 29 अगस्त से 7 सितंबर तक हीरो एशिया कप पुरुष हॉकी टूर्नामेंट का 12वां संस्करण आयोजित किया जाएगा। टूर्नामेंट के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं। इस अवसर पर टूर्नामेंट के शुभंकर ‘चांद’ का अनावरण किया गया, जो हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को समर्पित है।
शुभंकर ‘चांद’ और उसका संदेश
टूर्नामेंट का शुभंकर एक बाघ के रूप में तैयार किया गया है, जिसे ‘चांद’ नाम दिया गया है। यह नाम मेजर ध्यानचंद की स्मृति से जुड़ा है, जो चांदनी रातों में अभ्यास कर हॉकी के जादूगर के रूप में अमर हो गए। शुभंकर के सीने पर पद्मभूषण मेडल लगाया गया है, जो ध्यानचंद के असाधारण योगदान को दर्शाता है। राष्ट्रीय पशु बाघ साहस, स्फूर्ति और कौशल का प्रतीक है—वे गुण जो हर हॉकी खिलाड़ी में होने चाहिए। ‘चांद’ का लाल लबादा शक्ति और उत्साह का प्रतीक है, जबकि जादूगर की टोपी मेजर ध्यानचंद की जादूगरी को दर्शाती है।
एशिया की दिग्गज टीमों का जमावड़ा
इस टूर्नामेंट में एशिया की सात टीमें हिस्सा ले रही हैं—भारत, चीन, जापान, चीनी ताइपे, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और ओमान। हालांकि, पाकिस्तान इस बार किसी कारणवश टूर्नामेंट में भाग नहीं ले रहा है। टूर्नामेंट का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि विजेता टीम को सीधे विश्व कप हॉकी में प्रवेश का अधिकार मिलेगा।
ट्रॉफी की गौरव यात्रा
टूर्नामेंट से पहले ट्रॉफी गौरव यात्रा का आयोजन किया गया है। यह यात्रा न केवल बिहार के सभी जिलों में जाएगी, बल्कि चेन्नई, चंडीगढ़, दिल्ली, ओडिशा, असम और झारखंड तक भी पहुंचेगी। इसका उद्देश्य टूर्नामेंट के प्रति जागरूकता बढ़ाना और युवाओं में हॉकी के प्रति उत्साह जगाना है।
पहला मार्ग: वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज और सीवान होते हुए 28 अगस्त को राजगीर पहुंचेगा।
दूसरा मार्ग: भोजपुर, बक्सर, कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया होते हुए राजगीर तक जाएगा।
एशिया कप का गौरवशाली इतिहास
एशिया कप हॉकी की शुरुआत 1982 में कराची (पाकिस्तान) से हुई थी। यह टूर्नामेंट एशियाई हॉकी का सबसे प्रतिष्ठित आयोजन माना जाता है।अब तक सबसे सफल टीम दक्षिण कोरिया रही है, जिसने पांच बार यह खिताब जीता है।भारत और पाकिस्तान ने तीन-तीन बार चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है। भारत अब तक आठ बार फाइनल में पहुंचा है, हालांकि पांच बार उपविजेता रहना पड़ा। यह आंकड़ा भारतीय हॉकी की निरंतरता और मजबूती को दर्शाता है।
राजगीर में इस बार का आयोजन न केवल खेल प्रेमियों के लिए खास होगा, बल्कि बिहार की खेल संस्कृति और हॉकी के प्रति उत्साह को भी नई पहचान देगा। विजेता टीम के विश्व कप के लिए सीधे क्वालीफाई करने की वजह से मुकाबले बेहद रोमांचक और ऐतिहासिक होने की उम्मीद है।